शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2024) का समापन मां सिद्धिदात्री की महानवमी पूजा के साथ होता है। इस अंतिम दिन को विशेष पूजा और अनुष्ठानों जैसे कन्या पूजन, हवन, और हलवा, काले चने का भोग अर्पित कर मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों को दिव्य शक्तियाँ और इच्छाओं की पूर्ति होती है।

इस खबर की महत्वपूर्ण बातें 

  1. शारदीय नवरात्रि 2024: नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा का महत्त्व
  2. शारदीय नवरात्रि 2024: नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा से पाएं सभी सिद्धियाँ!
  3. शारदीय नवरात्रि 2024: क्या आधुनिक समाज भूल रहा है मां सिद्धिदात्री की पूजा का असली महत्व?

शारदीय नवरात्रि एक पवित्र हिंदू त्योहार है, जिसे दुनियाभर में बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह नौ दिनों तक चलने वाला त्योहार मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना को समर्पित है, जिसमें हर दिन देवी के एक अलग रूप की पूजा की जाती है। नवमी, यानी अंतिम दिन, पर मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जिन्हें सभी प्रकार की सिद्धियों और दिव्य शक्तियों की दात्री माना जाता है।

इसे भी पढ़ें –Shardiya Navratri 2024 के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी का पूजन, जानें पूजा विधि, मंत्र और महत्व

शारदीय नवरात्रि 2024 का महत्त्व

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर 2024 से शुरू हो रही है और इसका समापन 12 अक्टूबर 2024 को होगा। इन नौ दिनों के दौरान भक्तगण व्रत रखते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं, और मां दुर्गा के आशीर्वाद के लिए विभिन्न अनुष्ठानों का पालन करते हैं। नवरात्रि का नवां दिन, जिसे महानवमी कहा जाता है, विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है और दिव्य कृपा प्राप्त होती है।

इसे भी पढ़ें –शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2024): चंद्रघंटा देवी की पूजा का महत्व और पूजा विधि

मां सिद्धिदात्री मां दुर्गा के नौवें रूप के रूप में पूजी जाती हैं। उनका नाम ‘सिद्धि’ (अलौकिक शक्ति) और ‘दात्री’ (दात्री या देने वाली) से लिया गया है। इस प्रकार, वे सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली देवी मानी जाती हैं। नवमी के पावन दिन पर उनकी पूजा करने से समृद्धि, सफलता, और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है।

मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि

मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि बहुत ही श्रद्धा और नियम के साथ की जाती है। भक्तगण सुबह जल्दी उठकर स्नान कर अपने घरों और पूजा स्थलों की सफाई करते हैं। मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा या चित्र को बैंगनी या जामुनी रंग के वस्त्रों से सजाया जाता है, क्योंकि यह रंग उनके लिए शुभ माना जाता है। मां को हलवा, काला चना, और पूरी का भोग लगाया जाता है, जिसे कन्या पूजन के दौरान कन्याओं और ब्राह्मणों को अर्पित किया जाता है।

यहां मां सिद्धिदात्री की पूजा करने के चरण दिए गए हैं:

  1. शुद्धिकरण: पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. पूजा संकल्प: नवरात्रि व्रत के समापन की पूजा करने का संकल्प लें।
  3. मां सिद्धिदात्री का आवाहन: मां सिद्धिदात्री का आवाहन करें और उन्हें फूल अर्पित करें।
  4. भोग अर्पण: हलवा, काला चना, पूरी, मौसमी फल, नारियल, और अन्य पूजन सामग्री जैसे कुमकुम, चंदन अर्पित करें।
  5. मंत्र जाप: मां सिद्धिदात्री का यह मंत्र जाप करें: या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।
  6. कन्या पूजन: महानवमी के दिन नौ कन्याओं की पूजा की जाती है, जिन्हें मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। पूजा के बाद उन्हें वही भोग अर्पित किया जाता है जो मां सिद्धिदात्री को अर्पित किया गया था।
  7. हवन (यज्ञ): नवरात्रि की पूजा के समापन के लिए हवन किया जाता है, जिसमें सभी नौ रूपों का आह्वान किया जाता है।

इसे भी पढ़ें –शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2024) : चौथे दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा का महत्व

मां सिद्धिदात्री की कथा

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां सिद्धिदात्री ने भगवान शिव को सिद्धियाँ प्रदान कीं, जिससे उन्हें अर्धनारीश्वर रूप प्राप्त हुआ—जो कि आधा पुरुष और आधा महिला के रूप में दर्शाया गया है। यह पुरुष और स्त्री शक्तियों के मिलन का प्रतीक है। मां सिद्धिदात्री ने देवताओं और ऋषियों को भी सिद्धियाँ प्रदान कीं, जिससे उन्हें अपने दिव्य कार्यों को पूरा करने में मदद मिली।

मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली देवी हैं, जो कमल के आसन पर बैठी होती हैं। उनके हाथों में शंख, चक्र, गदा, और कमल का फूल होता है। वे शेर की सवारी करती हैं और अपने भक्तों की सभी प्रकार की आध्यात्मिक और भौतिक इच्छाओं को पूरा करती हैं।

इसे भी पढ़ें –Shardiya Navratri 2024 : नवरात्रि का 5वां दिन आज, स्कंदमाता की पूजा, जानिए पूजन विधि, महत्व और मंत्र

मां सिद्धिदात्री भोग

ऐसा कहा जाता है कि माता सिद्धिदात्री को हलवा-पूड़ी और चना का भोग लगाना चाहिए। साथ ही इस प्रसाद को कन्याओं और ब्राह्मणों में बांटना बेहद शुभ माना गया है। ऐसा करने वाले साधक से मां प्रसन्न होती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

मां सिद्धिदात्री की आरती

जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता

तू भक्तों की रक्षक  तू दासों की माता, 

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि

कठिन  काम  सिद्ध  कराती  हो  तुम

हाथ  सेवक  के  सर  धरती  हो  तुम,

तेरी  पूजा  में  न  कोई  विधि  है

तू  जगदंबे  दाती  तू  सर्वसिद्धि  है

रविवार  को  तेरा  सुमरिन  करे  जो

तेरी  मूर्ति  को  ही  मन  में  धरे  जो, 

तू  सब  काज  उसके  कराती  हो  पूरे

कभी  काम  उस  के  रहे  न  अधूरे

तुम्हारी  दया  और  तुम्हारी  यह  माया

रखे  जिसके  सर  पैर  मैया  अपनी  छाया,

सर्व  सिद्धि  दाती  वो  है  भाग्यशाली

जो  है  तेरे  दर  का  ही  अम्बे  सवाली

हिमाचल  है  पर्वत  जहां  वास  तेरा

महानंदा मंदिर में है वास  तेरा,

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता

वंदना है सवाली तू जिसकी दाता…  

इसे भी पढ़ें –Shardiya Navratri 2024 : नवरात्रि के छठे दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा, जानिए पूजन विधि, महत्व और मंत्र

हिमाचल के नंदा पर्वत पर स्थित है मां सिद्धिदात्री का मंदिर

माता सिद्धिदात्री का प्रसिद्ध मंदिर हिमाचल के नंदा पर्वत पर है। माता की उपासना करने से अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है। देवी सिद्धिदात्री को भोग में हलवा, पूड़ी, काले चने, मौसमी फल, खीर और नारियल चढ़ाया जाता है। पूजा के वक्त बैगनी या जामुनी रंग पहनना शुभ माना जाता है।

शारदीय नवरात्रि 2024 (shardiya navratri 2024): नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा और इसका दिव्य महत्व
शारदीय नवरात्रि 2024 (shardiya navratri 2024): नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा और इसका दिव्य महत्व

वाराणसी के मां सिद्धिदात्री मंदिर यहा पर क्लिक करे

नवरात्र पर्व के अंतिम दिन मां सिद्धदात्री का होता है, अगर आप मां सिद्धिदात्री का दर्शन करना चाहते हैं तो छिंदवाड़ा के 1200 साल पुराने मंदिर में जा सकते हैं, जो कलेक्टर बंगला के पास गुरैया रोड पर स्थित है. यहां आप मां के अंतिम स्वरूप का दर्शन कर मां को प्रसन्न कर सकतें है. (Chhindwara Mata Siddhidatri Temple)

इस शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2024) पर मां सिद्धिदात्री की दिव्य कृपा को अपने प्रियजनों के साथ साझा करें। इस साल नवमी पूजा के लिए हमारे मार्गदर्शन का पालन करें!

इसे भी पढ़ें –Shardiya Navratri 2024: सप्तमी पर देवी कालरात्रि की पूजा का महत्व

नौ दिनों के उत्सव में माँ दुर्गा के नौ रूपों के अनुसार अलग-अलग भोग अर्पित किए जाते हैं। यहां हम आपको कुछ देवियों के प्रिय भोग के बारे में बता रहे हैं:

  1. माँ शैलपुत्री (Maa Shailputri) नवरात्रि के पहले दिन, माँ शैलपुत्री को विशेष रूप से पूजा जाता है। उनको सफेद रंग पसंद है और उनके भोग में गाय का घी अर्पित किया जाता है।
  2. माँ ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) दूसरे दिन, माँ ब्रह्मचारिणी को पूजा जाता है और उनको शक्कर और पंचामृत का भोग अर्पित किया जाता है।
  3. माँ चंद्रघंटा तीसरे दिन, माँ चंद्रघंटा को दूध का भोग अर्पित किया जाता है।
  4. माँ कुष्मांडा चौथे दिन, माँ कुष्मांडा को मालपुए का भोग अर्पित किया जाता है।
  5. माँ स्कंदमाता पांचवे दिन, माँ स्कंदमाता को केले का भोग अर्पित किया जाता है।
  6. माँ कात्यायनी छठे दिन, माँ कात्यायनी को मीठे पान या लौकी का भोग अर्पित किया जाता है।
  7. माँ कालरात्रि सातवे दिन, माँ कालरात्रि को गुड़ का भोग अर्पित किया जाता है।
  8. माँ महागौरी आठवे दिन, माँ महागौरी को नारियल का भोग अर्पित किया जाता है।
  9. माँ सिद्धदात्री नौवे दिन, माँ सिद्धदात्री को चना मसाला या हलवा पूड़ी का भोग अर्पित किया जाता है।

पूछे जाने वाले प्रश्न 

1.शारदीय नवरात्रि क्या है?
शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2024) एक हिंदू त्योहार है, जिसमें नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो शारदीय माह की शुरुआत का प्रतीक है।

2.महानवमी का क्या महत्व है?
महानवमी नवरात्रि का अंतिम दिन होता है, जिसमें मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उनकी पूजा से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

3.नवमी पूजा में कौन-कौन से भोग अर्पित किए जाते हैं?
नवमी पर हलवा, काला चना, पूरी, और फल अर्पित किए जाते हैं, जिन्हें कन्या पूजन के दौरान कन्याओं को अर्पित किया जाता है।

4.मां सिद्धिदात्री के मंदिर कहाँ स्थित हैं?
मां सिद्धिदात्री का एक प्रसिद्ध मंदिर हिमाचल प्रदेश के नंदा पर्वत पर स्थित है। एक अन्य मंदिर मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में भी है।

5.महानवमी पूजा के लिए कौन से रंग शुभ माने जाते हैं?
महानवमी पूजा के दौरान बैंगनी या जामुनी रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि ये रंग मां सिद्धिदात्री से जुड़े हुए हैं।

इसे भी पढ़ें –Shardiya Navratri 2024: सप्तमी पर देवी कालरात्रि की पूजा का महत्व

हिंदी में धार्मिक त्योहार और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले  महाकालटाइम्स.कॉम पर पढ़ें.

अगर आपको हमारी स्टोरी से जुड़े सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के नीचे  दिये गए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर करना न भूलें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए महाकालटाइम्स  से जुड़े रहें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here