शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2024) के पाँचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा से भक्तों को शांति, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। माँ की उपासना में पीले फूल अर्पित करना विशेष महत्व रखता है। माँ स्कंदमाता की कृपा से भक्त को ज्ञान, बुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Shardiya navratri 2024 : नवरात्रि का 5वां दिन आज, स्कंदमाता की पूजा, जानिए पूजन विधि, महत्व और मंत्र
Shardiya navratri 2024 : नवरात्रि का 5वां दिन आज, स्कंदमाता की पूजा, जानिए पूजन विधि, महत्व और मंत्र

इस खबर की महत्वपूर्ण बातें 

  1. शारदीय नवरात्रि 2024: पाँचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा का महत्व
  2. माँ स्कंदमाता की अपार कृपा: शारदीय नवरात्रि 2024 के पाँचवे दिन ज़रूर करें पूजा!
  3. क्या शारदीय नवरात्रि में माँ स्कंदमाता की पूजा से होती है सच्ची शक्ति प्राप्त?

शारदीय नवरात्रि का पाँचवा दिन माँ स्कंदमाता की पूजा के लिए समर्पित होता है। माँ स्कंदमाता को देवताओं के सेनापति भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में जाना जाता है। नवरात्रि के इस दिन माँ की पूजा से भक्तों को विशेष आशीर्वाद और उनके जीवन में शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। मान्यता है कि माँ स्कंदमाता की उपासना से साधक को ज्ञान, बुद्धि और मोक्ष का आशीर्वाद मिलता है।

माँ स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत सौम्य और दयालु होता है। वह अपने पुत्र भगवान कार्तिकेय को अपनी गोद में लिए सिंह पर विराजमान होती हैं। उनकी चार भुजाएँ होती हैं, जिनमें वह कमल का पुष्प और भगवान कार्तिकेय को धारण करती हैं। भक्तों का मानना है कि उनकी पूजा से सारे दुःख-दर्द समाप्त हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

स्कंदमाता मंदिर की पूजा विधि और अनुष्ठान

माँ स्कंदमाता की पूजा विधि बहुत सरल और भक्तिपूर्ण होती है। प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और माँ की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीप जलाएँ। इसके बाद उन्हें फूल, फल, नैवेद्य अर्पित करें और विशेष रूप से पीले फूल माँ को चढ़ाएँ क्योंकि यह रंग माँ को अत्यधिक प्रिय होता है। माँ की आरती करें और ‘ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः’ मंत्र का जाप करें।

स्कंदमाता मंदिर की पौराणिक कथा

ऐसी मान्यता है कि देवासुर राक्षस अपनी अलौकिक शक्तियों से संत और अन्य लोगों को बहुत परेशान करता था। देवासुर का विनाश करने के लिए भगवान शिव से माता पार्वती को भेजा। माता पार्वती ने उस राक्षस का विनाश कर दिया। इस घटना के बाद काशी में मां के इस रूप को स्कंदमाता के रूप में पूजा जाने लगा। यह भी बोला जाने लगा कि उन्होंने काशी की सभी बुरी शक्तियों से रक्षा करी।

मां स्कंदमाता का मंत्र

1.सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

2.या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

 

स्कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्कंद माता।

पांचवां नाम तुम्हारा आता॥

सबके मन की जानन हारी।

जग जननी सबकी महतारी॥

तेरी जोत जलाता रहू मैं।

हरदम तुझे ध्याता रहू मै॥

कई नामों से तुझे पुकारा।

मुझे एक है तेरा सहारा॥

कही पहाडो पर है डेरा।

कई शहरों में तेरा बसेरा॥

हर मंदिर में तेरे नजारे।

गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥

भक्ति अपनी मुझे दिला दो।

शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥

इंद्र आदि देवता मिल सारे।

करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।

तू ही खंडा हाथ उठाए॥

दासों को सदा बचाने आयी।

भक्त की आस पुजाने आयी॥

माँ स्कंदमाता की कृपा

ऐसी मान्यता है कि जो भक्त माँ स्कंदमाता की पूजा सच्चे मन से करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। माँ का आशीर्वाद उनके जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भर देता है। विशेष रूप से जिन लोगों के जीवन में शारीरिक या मानसिक कष्ट होते हैं, उनके लिए माँ की उपासना अत्यधिक फलदायी मानी जाती है।

माँ स्कंदमाता को विशेष रूप से ज्ञान और मोक्ष की देवी माना जाता है। उनके आशीर्वाद से साधक के जीवन से अज्ञान का अंधकार दूर हो जाता है और उसे जीवन का सही मार्ग प्राप्त होता है। यही कारण है कि नवरात्रि के पाँचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा अत्यधिक महत्व रखती है।

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वाराणसी है मां स्कंदमाता का मंदिर

स्कंदमाता मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथा जानने से पहले यह जान लेते हैं कि यह पवित्र मंदिर भारत के किस राज्य और शहर में मौजूद है। आपको बता दें कि यह पवित्र मंदिर भारत के सबसे बड़े राज्यों में से शामिल यानी उत्तर प्रदेश में मौजूद है।

Shardiya navratri 2024 : नवरात्रि का 5वां दिन आज, स्कंदमाता की पूजा, जानिए पूजन विधि, महत्व और मंत्र
Shardiya navratri 2024 : नवरात्रि का 5वां दिन आज, स्कंदमाता की पूजा, जानिए पूजन विधि, महत्व और मंत्र

वाराणसी है मां स्कंदमाता का मंदिर यहा पर क्लिक करे

जी हां, मां स्कंदमाता का मंदिर उत्तर प्रदेश के किसी और शहर में नहीं बल्कि सबसे पवित्र नगरी यानी वाराणसी में मौजूद है। स्थानीय लोगों के लिए यह एक बेहद ही पवित्र मंदिर है।

माँ स्कंदमाता की आराधना से प्राप्त होने वाले लाभ

माँ स्कंदमाता की उपासना से भक्तों को कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. शांति और संतुलन: माँ स्कंदमाता की पूजा से मानसिक शांति प्राप्त होती है। जीवन में संतुलन बनाकर, भक्त कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और स्थिरता बनाए रख सकते हैं।
  2. संतान सुख: माँ स्कंदमाता को संतान की देवी माना जाता है। उनकी पूजा से संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  3. स्वास्थ्य लाभ: माँ की कृपा से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। माँ की उपासना से रोगों से मुक्ति और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: माँ स्कंदमाता की उपासना से भक्त आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होते हैं। ध्यान और साधना में उनकी रुचि बढ़ती है, जिससे मोक्ष की प्राप्ति की दिशा में अग्रसर होते हैं।
  5. कष्टों से मुक्ति: जीवन में आने वाले तमाम कष्ट और परेशानियाँ माँ की कृपा से दूर हो जाते हैं। माँ स्कंदमाता की पूजा से व्यक्ति हर संकट और कठिनाई से उबरने में सक्षम हो जाता है।
  6. सुख-समृद्धि: माँ की पूजा से भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होती है। जीवन में धन, वैभव, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

माँ स्कंदमाता की उपासना भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों स्तरों पर लाभ पहुँचाती है। यही कारण है कि नवरात्रि के पाँचवें दिन उनकी विशेष पूजा की जाती है, जिससे भक्त माँ का आशीर्वाद पाकर अपने जीवन में खुशियों और समृद्धि का अनुभव कर सकें।

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माँ स्कंदमाता की कथाएँ और भक्तों के अनुभव

माँ स्कंदमाता से जुड़ी अनेक कथाएँ प्राचीन शास्त्रों में मिलती हैं, जहाँ उनका उल्लेख एक करुणामयी और दयालु देवी के रूप में किया गया है। भक्तों का मानना है कि माँ अपने सभी भक्तों की पुकार सुनती हैं और उन्हें उनके कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं। कई भक्तों ने माँ स्कंदमाता की पूजा के बाद अपने जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन की कहानियाँ साझा की हैं। यह भी कहा जाता है कि माँ स्कंदमाता की कृपा से भक्त अपने जीवन के किसी भी संकट से उभरने में सक्षम हो जाते हैं।

अतः इस शारदीय नवरात्रि, माँ स्कंदमाता की पूजा के साथ अपने जीवन में खुशियों और समृद्धि को आमंत्रित करें। माँ की अपार कृपा से न केवल आप अपने जीवन के संकटों से मुक्त होंगे, बल्कि आपके जीवन में सुख-शांति का वास होगा।

अगले दिन की तैयारी

शारदीय नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा होती है। माँ कात्यायनी को शक्ति और वीरता का प्रतीक माना जाता है। भक्त इस दिन भी विशेष पूजा अर्चना करते हैं और माँ से अपने जीवन की समस्याओं के समाधान की प्रार्थना करते हैं।

इस शारदीय नवरात्रि पर माँ स्कंदमाता की पूजा कर अपने जीवन में सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त करें।

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नौ दिनों के उत्सव में माँ दुर्गा के नौ रूपों के अनुसार अलग-अलग भोग अर्पित किए जाते हैं। यहां हम आपको कुछ देवियों के प्रिय भोग के बारे में बता रहे हैं:

  1. माँ शैलपुत्री (Maa Shailputri) नवरात्रि के पहले दिन, माँ शैलपुत्री को विशेष रूप से पूजा जाता है। उनको सफेद रंग पसंद है और उनके भोग में गाय का घी अर्पित किया जाता है।
  2. माँ ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) दूसरे दिन, माँ ब्रह्मचारिणी को पूजा जाता है और उनको शक्कर और पंचामृत का भोग अर्पित किया जाता है।
  3. माँ चंद्रघंटा तीसरे दिन, माँ चंद्रघंटा को दूध का भोग अर्पित किया जाता है।
  4. माँ कुष्मांडा चौथे दिन, माँ कुष्मांडा को मालपुए का भोग अर्पित किया जाता है।
  5. माँ स्कंदमाता पांचवे दिन, माँ स्कंदमाता को केले का भोग अर्पित किया जाता है।
  6. माँ कात्यायनी छठे दिन, माँ कात्यायनी को मीठे पान या लौकी का भोग अर्पित किया जाता है।
  7. माँ कालरात्रि सातवे दिन, माँ कालरात्रि को गुड़ का भोग अर्पित किया जाता है।
  8. माँ महागौरी आठवे दिन, माँ महागौरी को नारियल का भोग अर्पित किया जाता है।
  9. माँ सिद्धदात्री नौवे दिन, माँ सिद्धदात्री को चना मसाला या हलवा पूड़ी का भोग अर्पित किया जाता है।

पूछे जाने वाले प्रश्न 

1.माँ स्कंदमाता कौन हैं?
माँ स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माता हैं, जिन्हें शारदीय नवरात्रि के पाँचवे दिन पूजा जाता है।

2.माँ स्कंदमाता की पूजा का क्या महत्व है?
माँ की पूजा से भक्तों को बुद्धि, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

3.माँ स्कंदमाता को कौन से फूल प्रिय होते हैं?
माँ स्कंदमाता को विशेष रूप से पीले रंग के फूल प्रिय होते हैं।

4.क्या माँ स्कंदमाता की पूजा से स्वास्थ्य लाभ भी होता है?
हां, माना जाता है कि माँ स्कंदमाता की पूजा से शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।

5.पाँचवे दिन की पूजा के बाद क्या करना चाहिए?
पाँचवे दिन की पूजा के बाद छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है।

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