शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2024) के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व है। यह दिन विवाह संबंधी बाधाओं के निवारण के लिए जाना जाता है। मां कात्यायनी की पूजा विधि में लाल वस्त्र और शहद का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है।
इस खबर की महत्वपूर्ण बातें
- शारदीय नवरात्रि 2024: मां कात्यायनी की पूजा का महत्व और विधि
- शारदीय नवरात्रि 2024: मां कात्यायनी की कृपा से मिलेगी हर समस्या का समाधान!
- मां कात्यायनी की पूजा: क्या वाकई विवाह समस्याओं का हल है?
शारदीय नवरात्रि 2024 के छठे दिन की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति, मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी का नाम ऋषि कात्यायन से जुड़ा हुआ है, जिनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। इसलिए, इस दिन मां कात्यायनी की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है, खासकर उन कन्याओं के लिए जो विवाह में समस्याओं का सामना कर रही हैं।
मां कात्यायनी की पूजा से विवाह संबंधित बाधाओं का निवारण होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त इस दिन विधि-विधान से मां की आराधना करते हैं, उन्हें जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। यह भी माना जाता है कि मां कात्यायनी की उपासना से गृहस्थ जीवन की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। इस कारण से शारदीय नवरात्रि के छठे दिन का विशेष महत्व है।
मां कात्यायनी का पूजन विधि
मां कात्यायनी की पूजा में विशेष अनुष्ठानों का पालन किया जाता है। पूजा के दौरान मां को लाल वस्त्र, लाल पुष्प, अक्षत, सिंदूर, और शहद का भोग अर्पित किया जाता है, क्योंकि शहद मां को अति प्रिय है। इसके साथ ही, पूजा में धूप, दीप, नैवेद्य और गंध का प्रयोग किया जाता है। पूजा विधि में मंत्रोच्चार और मां की कथा का पाठ भी महत्वपूर्ण होता है। आरती के बाद मां की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष ध्यान और आराधना की जाती है।
मां कात्यायनी को समर्पित मंत्रों का उच्चारण भक्तों की आराधना को और प्रभावी बनाता है। मंत्रों का सही उच्चारण भक्त को सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास से भर देता है।
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मां कात्यायनी की पौराणिक कथा
मां कात्यायनी की कथा भी अत्यंत प्रसिद्ध है। ऋषि कात्यायन ने वर्षों तक कठिन तपस्या की थी ताकि देवी उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लें। उनकी तपस्या का फल उन्हें तब मिला जब देवी ने महिषासुर का वध करने के लिए उनके घर में जन्म लिया। मां कात्यायनी की पूजा से भक्तों के सारे दुख, संताप और संकट दूर हो जाते हैं। विशेषकर, विवाह में आ रही समस्याओं का निवारण करने के लिए मां कात्यायनी की उपासना अत्यधिक प्रभावी मानी जाती है।
मां कात्यायनी के प्रिय वस्त्र, भोग और रंग
मां कात्यायनी को लाल रंग अतिप्रिय है। इसलिए, इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना और पूजा में लाल गुलाब अर्पित करना शुभ माना जाता है। मां को शहद का भोग अर्पित करना विशेष फलदायी माना जाता है क्योंकि यह उन्हें अत्यंत प्रिय है।
मां कात्यायनी के मंत्र और स्तुति
मां कात्यायनी की उपासना में मंत्रों का विशेष महत्व होता है। भक्तगण अपनी पूजा में निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण करते हैं ताकि मां की कृपा शीघ्र प्राप्त हो सके:
- ध्यान मंत्र: “चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानवघातिनी॥” - इस मंत्र का उच्चारण मां कात्यायनी की शक्ति और दिव्यता का आह्वान करता है। यह ध्यान मंत्र भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति प्रदान करता है।
- पूजन मंत्र: “या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥” - यह मंत्र मां कात्यायनी को समर्पित है और उन्हें प्रणाम करने के लिए गाया जाता है। इससे मां की कृपा से सभी बाधाएं दूर होती हैं।
- कात्यायनी स्तुति: “कात्यायन महाभागा सर्वयंत्र विना सुता।
नमस्ते देवि गौरीशे सूर्यकान्ति समप्रभे॥”
इस स्तुति के माध्यम से भक्त मां कात्यायनी की प्रशंसा करते हैं और उनसे आशीर्वाद की कामना करते हैं।
कात्यायनी की आरती
जय जय अंबे जय कात्यायनी।
जय जगमाता जग की महारानी।।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम हैं कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।।
झूठे मोह से छुड़ानेवाली।
अपना नाम जपानेवाली।।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।
मां कात्यायनी का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष में मां कात्यायनी को ग्रहों की विशेष स्थिति और उनके प्रभाव से भी जोड़ा जाता है। विशेष रूप से कुंडली में विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए मां कात्यायनी की उपासना अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। जिन जातकों की कुंडली में विवाह का योग देर से बनता है या विवाह में कोई समस्या आ रही है, उन्हें मां कात्यायनी की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
इसके अलावा, जो लोग अपने वैवाहिक जीवन में सुख और शांति की कामना करते हैं, वे भी मां कात्यायनी का पूजन कर सकते हैं। उनकी कृपा से जीवन में सुख-शांति और वैवाहिक समस्याओं का समाधान मिलता है।
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नवरात्रि के छठे दिन का महत्व और मां कात्यायनी का आह्वान
शारदीय नवरात्रि के छठे दिन का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह दिन शक्ति की देवी मां कात्यायनी को समर्पित है। जो भक्त इस दिन सच्चे मन से मां की आराधना करते हैं, उन्हें मां की असीम कृपा प्राप्त होती है। विशेषकर विवाह और संतान से जुड़ी समस्याओं का निवारण मां कात्यायनी की कृपा से संभव होता है।
मां कात्यायनी की आराधना के दिन भक्तों को ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए और मां की प्रतिमा के सामने धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करना चाहिए। आरती और मंत्रोच्चार के बाद मां से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए ध्यान करना चाहिए।
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वृन्दावन का प्रसिद्ध कात्यायनी मंदिर
मां कात्यायनी देवी दुर्गा का छठा रूप है। नवरात्रि के छठवें दिन देवी के कात्यायनी की उपासना की जाती है। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं,इनका स्वरूप अत्यंत ही भव्य और दिव्य है। इनका रंग स्वर्ण के समान चमकीला और भास्वर है । शेर पर सवार मां की चार भुजाएं हैं, इनके बायें हाथ में कमल और तलवार व दाहिनें हाथों में स्वास्तिक व आशीर्वाद की मुद्रा अंकित है। भगवान कृष्ण को पाने के लिए व्रज की गोपियों ने इन्ही की पूजा कालिंदी नदी के तट पर की थी। ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह का सम्बन्ध इनसे माना जाता है।
मथुरा के वृन्दावन में है मां कात्यायनी का मंदिर यहा पर क्लिक करे
मां कात्यायिनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय आदि सर्वथा नष्ट हो जाते हैं।
यदि आप भी मां कात्यायनी की कृपा पाना चाहते हैं और जीवन में आ रही समस्याओं का समाधान करना चाहते हैं, तो इस शारदीय नवरात्रि में मां कात्यायनी की पूजा विधि का पालन अवश्य करें और उनके मंत्रों का जप करें। मां की कृपा से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होगी।
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नौ दिनों के उत्सव में माँ दुर्गा के नौ रूपों के अनुसार अलग-अलग भोग अर्पित किए जाते हैं। यहां हम आपको कुछ देवियों के प्रिय भोग के बारे में बता रहे हैं:
- माँ शैलपुत्री (Maa Shailputri) नवरात्रि के पहले दिन, माँ शैलपुत्री को विशेष रूप से पूजा जाता है। उनको सफेद रंग पसंद है और उनके भोग में गाय का घी अर्पित किया जाता है।
- माँ ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) दूसरे दिन, माँ ब्रह्मचारिणी को पूजा जाता है और उनको शक्कर और पंचामृत का भोग अर्पित किया जाता है।
- माँ चंद्रघंटा तीसरे दिन, माँ चंद्रघंटा को दूध का भोग अर्पित किया जाता है।
- माँ कुष्मांडा चौथे दिन, माँ कुष्मांडा को मालपुए का भोग अर्पित किया जाता है।
- माँ स्कंदमाता पांचवे दिन, माँ स्कंदमाता को केले का भोग अर्पित किया जाता है।
- माँ कात्यायनी छठे दिन, माँ कात्यायनी को मीठे पान या लौकी का भोग अर्पित किया जाता है।
- माँ कालरात्रि सातवे दिन, माँ कालरात्रि को गुड़ का भोग अर्पित किया जाता है।
- माँ महागौरी आठवे दिन, माँ महागौरी को नारियल का भोग अर्पित किया जाता है।
- माँ सिद्धदात्री नौवे दिन, माँ सिद्धदात्री को चना मसाला या हलवा पूड़ी का भोग अर्पित किया जाता है।
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पूछे जाने वाले प्रश्न
1.मां कात्यायनी की पूजा से क्या लाभ होता है? मां कात्यायनी की पूजा से भक्तों को विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान मिलता है, साथ ही जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
2.शारदीय नवरात्रि के छठे दिन का महत्व क्या है? शारदीय नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है, जो विशेष रूप से विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
3.मां कात्यायनी का प्रिय भोग क्या है? मां कात्यायनी को शहद का भोग अति प्रिय है, इसलिए उनकी पूजा में शहद अर्पित करना विशेष फलदायी माना जाता है।
4.मां कात्यायनी का मंदिर कहां स्थित है? मां कात्यायनी का प्रसिद्ध मंदिर वृन्दावन में स्थित है, जहां भक्त विवाह संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए मां की आराधना करते हैं।
5.मां कात्यायनी की पूजा में कौन से रंग का उपयोग करना चाहिए? मां कात्यायनी को लाल रंग अति प्रिय है, इसलिए उनकी पूजा में लाल वस्त्र और लाल गुलाब का प्रयोग किया जाता है।
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