गंगा जयंती (Ganga Jayanti) 2025 – हिंदू धर्म में गंगा नदी को विशेष महत्व प्राप्त है और इसे एक पवित्र नदी के रूप में पूजा जाता है। गंगा सप्तमी, गंगा के पुनर्जन्म के दिन का उत्सव है। इस दिन भक्तगण गंगा की शुद्धता, दैवीय अस्तित्व और आशीर्वाद का सम्मान करते हैं।

गंगा जयंती (Ganga Jayanti) 2025: गंगा सप्तमी के पर्व पर विशेष जानकारियां
गंगा जयंती (Ganga Jayanti) 2025: गंगा सप्तमी के पर्व पर विशेष जानकारियां

इस खबर की महत्वपूर्ण बातें

  1. गंगा सप्तमी 2025: गंगा नदी की महिमा और अनुष्ठानों का महत्व
  2. गंगा सप्तमी 2025: जानें कैसे पवित्र गंगा स्नान कर सकता है आपके जीवन में चमत्कारी बदलाव!
  3. क्या गंगा सप्तमी के अनुष्ठानों में है वास्तविक शक्ति, या यह महज एक परंपरा है?

गंगा सप्तमी, जिसे गंगा जयंती भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है, जो गंगा नदी के पृथ्वी पर पुनर्जन्म की स्मृति में मनाया जाता है। यह पर्व विशेषकर उन भक्तों के लिए है, जो गंगा को देवी के रूप में पूजते हैं और उनके पवित्र जल में स्नान करके पापों से मुक्ति की कामना करते हैं। इस दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यंत गहरा है और इसके साथ कई पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं, जो इसके महत्व को और बढ़ाती हैं।

गंगा कौन है

गंगा को हिंदू धर्म में एक देवी के रूप में पूजा जाता है। पुराणों के अनुसार, गंगा का अवतरण पृथ्वी पर भगवान शिव की जटाओं से हुआ था, जिससे उनका वेग नियंत्रित हो सका। गंगा को कभी हिमालय की पुत्री और देवी पार्वती की बहन के रूप में मान्यता प्राप्त है, तो कभी उन्हें भगवान ब्रह्मा की पुत्री भी कहा गया है। गंगा केवल एक नदी नहीं बल्कि देवी स्वरूप मानी जाती हैं, जो पृथ्वी पर समस्त प्राणियों का कल्याण करने के उद्देश्य से अवतरित हुई हैं।

गंगा सप्तमी का इतिहास और महत्व

गंगा सप्तमी का पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन गंगा ऋषि जह्नु के द्वारा पुनः प्रकट हुई थीं, जब उन्होंने अपनी तपस्या को भंग करने वाले जल को पिया और देवताओं की प्रार्थना पर उसे अपने कान से बाहर निकाला। इसी कारण गंगा को ‘जाह्नवी’ भी कहा जाता है। गंगा सप्तमी के दिन भक्तगण गंगा स्नान और अनुष्ठान करके गंगा माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जो कि जीवन में शांति, पवित्रता, और कल्याण का प्रतीक है।

ऋषि जह्नु कौन थे और गंगा से उनका क्या संबंध है?

कहानी के अनुसार, जब राजा भगीरथ गंगा को धरती पर लाए, तब उसकी धारा इतनी प्रबल थी कि उसने ऋषि जह्नु के आश्रम को प्रभावित कर दिया। इस पर ऋषि ने क्रोधित होकर गंगा का सारा जल पी लिया। देवताओं और भगीरथ के निवेदन पर ऋषि जह्नु ने गंगा को अपने कान से पुनः प्रवाहित किया। इस कारण गंगा को ‘जाह्नवी’ के नाम से भी जाना जाता है।

गंगा सप्तमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

गंगा सप्तमी इस वर्ष शनिवार, 3 मई, 2025 को मनाई जाएगी। तिथि के अनुसार सप्तमी का प्रारंभ 3 मई को सुबह 7:51 बजे से होगा और इसका समापन 4 मई को सुबह 7:18 बजे होगा। इस शुभ मुहूर्त में स्नान, दान और पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

गंगा जयंती (Ganga Jayanti) 2025 /गंगा सप्तमी के अनुष्ठान

गंगा सप्तमी पर किए जाने वाले अनुष्ठान मुख्यतः गंगा स्नान, पूजा, और दान-पुण्य पर आधारित होते हैं। इस दिन भक्त निम्नलिखित अनुष्ठानों का पालन करते हैं:

  1. पवित्र स्नान: गंगा नदी में स्नान करना मुख्य अनुष्ठान माना गया है। यदि गंगा नदी उपलब्ध न हो, तो घर में स्नान करते समय गंगा जल की कुछ बूँदें मिलाई जा सकती हैं।
  2. विशेष पूजा: गंगा चालीसा का पाठ और गंगा आरती की जाती है।
  3. गंगा तट पर पूजा: गंगा के तट पर दीप, फूल, कुमकुम आदि अर्पित करना पवित्र माना जाता है।
  4. दान-पुण्य: गरीबों को भोजन, वस्त्र, और अन्य आवश्यक वस्तुएँ दान करना पुण्यदायी होता है।
  5. शाम की महाआरती: गंगा आरती में भाग लेना और गंगा माँ का आशीर्वाद प्राप्त करना जीवन को शुद्ध और मंगलमयी बनाता है।

गंगा सप्तमी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

गंगा सप्तमी का पर्व भक्तों के लिए अत्यधिक श्रद्धा और भक्ति का पर्व है। इस दिन गंगा स्नान और पूजा-अर्चना से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष प्राप्ति की दिशा में अग्रसर होने का अवसर मिलता है। गंगा की महिमा केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। भारतीय संस्कृति में गंगा की महत्ता हमारे रीति-रिवाजों, परंपराओं और आस्थाओं में प्रतिफलित होती है।

गंगा सप्तमी का पर्व गंगा की महिमा और उसकी पवित्रता का उत्सव है। यह दिन हमें गंगा के पावन जल में स्नान करने का महत्व सिखाता है और जीवन को शुद्धता और भक्ति की दिशा में ले जाने के लिए प्रेरित करता है। अनुष्ठानों और प्रार्थनाओं के माध्यम से भक्तगण इस दिन का सम्मान करते हैं और गंगा माँ से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

पूछे जाने वाले प्रश्न

1.गंगा सप्तमी क्या है और क्यों मनाई जाती है?
गंगा सप्तमी गंगा नदी के पुनर्जन्म का पर्व है, जिसे ऋषि जह्नु ने पुनः पृथ्वी पर प्रकट किया था। इस दिन गंगा स्नान और पूजा का विशेष महत्व है।

2.गंगा सप्तमी 2025 की तिथि और मुहूर्त क्या है?
3 मई 2025 को सप्तमी तिथि शुरू होगी और यह 4 मई को सुबह समाप्त होगी।

3.गंगा सप्तमी पर कौन-कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं?
गंगा स्नान, गंगा चालीसा का पाठ, गंगा आरती, और दान-पुण्य जैसे अनुष्ठान गंगा सप्तमी पर किए जाते हैं।

4.गंगा सप्तमी का धार्मिक महत्व क्या है?
इस पर्व पर किए गए गंगा स्नान और पूजा व्यक्ति के पापों का नाश करते हैं और उसे मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रदान करते हैं।

5.गंगा को ‘जाह्नवी’ क्यों कहा जाता है?
ऋषि जह्नु के द्वारा गंगा को पुनः प्रकट किए जाने के कारण उन्हें ‘जाह्नवी’ कहा गया है।

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Pandit Suryanarayan Mishra
25 वर्षों के अनुभव के साथ, पंडित सूर्यनारायण मिश्रा जी एक प्रतिष्ठित ज्योतिषी और धार्मिक विद्वान हैं। वैदिक ज्योतिष, कुंडली मिलान, वास्तु-शास्त्र, तिथि-व्रत, और धार्मिक साहित्य जैसे श्रीरामचरितमानस और महाभारत में इनकी गहरी पकड़ है। इनका मार्गदर्शन लोगों को आज का शुभ मुहूर्त, राशियों का भविष्यफल, और कुंडली संबंधित विवरण प्रदान करता है। रामायण और धर्म-दर्शन में विशेष रुचि रखने वाले मिश्रा जी का योगदान लोगों को उनके जीवन में शांति और समृद्धि पाने में सहायता करता है।

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