शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2024) के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा करके अपने जीवन के सभी कष्टों और बाधाओं को दूर करें। जानिए पूजा का महत्व और विधि।

शारदीय नवरात्रि (shardiya navratri 2024): महागौरी की पूजा के आठवें दिन का महत्व
शारदीय नवरात्रि (shardiya navratri 2024): महागौरी की पूजा के आठवें दिन का महत्व

इस खबर की महत्वपूर्ण बातें 

  1. शारदीय नवरात्रि 2024: महागौरी की पूजा का आठवें दिन का महत्व
  2. शारदीय नवरात्रि 2024: मां महागौरी की कृपा से दूर होंगे सभी कष्ट!
  3. क्या नवरात्रि में महागौरी की पूजा ही असंभव सफलता की कुंजी है?

हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का अत्यधिक महत्व है, और इस त्योहार का आठवां दिन, जो मां महागौरी को समर्पित होता है, विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। मां महागौरी, देवी दुर्गा का एक रूप हैं, और इन्हें शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए पूजा जाता है। ‘महागौरी’ नाम का अर्थ होता है ‘अत्यंत गोरी,’ जो पवित्रता, शांति और स्थिरता का प्रतीक है।

नवरात्रि एक नौ दिन का त्योहार है जिसमें भक्त देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। आठवें दिन को दुर्गा अष्टमी कहा जाता है और इस दिन भक्त मां महागौरी की आराधना करते हैं, उनसे अपने पाप, कष्ट और बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। यह दिन खासकर उन लोगों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है जो आध्यात्मिक और भौतिक लाभ की इच्छा रखते हैं, क्योंकि माना जाता है कि मां महागौरी अपने सच्चे भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण करती हैं।

महागौरी की पूजा: पवित्रता की ओर एक मार्ग

हिंदू पुराणों के अनुसार, मां महागौरी ने कठिन तपस्या के बाद अपने शुद्ध रूप को प्राप्त किया था। वह हृदय और आत्मा की शुद्धता का प्रतीक हैं, और उनकी पूजा करने से सभी पाप धुल जाते हैं। इस दिन भक्त उपवास करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं, और मां को सफेद फूल, वस्त्र और मिठाई अर्पित करते हैं। सफेद रंग पवित्रता का प्रतीक होता है और माना जाता है कि सफेद वस्त्र धारण कर उनकी पूजा करने से जीवन में शांति और समृद्धि आती है।

इस दिन ‘कन्या पूजन’ का भी विशेष महत्व होता है, जिसमें छोटी कन्याओं को देवी का रूप मानकर पूजा की जाती है और उन्हें भोजन तथा उपहार दिए जाते हैं।

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महागौरी की पूजा कैसे करें?

शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा विशेष मानी जाती है और इसे एक विशिष्ट विधि से किया जाता है। यहां पूजा की प्रक्रिया दी जा रही है:

  1. प्रातःकालीन अनुष्ठान: भक्त सुबह स्नान कर सफेद वस्त्र पहनते हैं और मां महागौरी की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करते हैं।
  2. सफेद फूल अर्पण: मां को सफेद फूल, विशेषकर चमेली, धूप और दीप अर्पित किए जाते हैं।
  3. मंत्रों का जाप: भक्त मां महागौरी के मंत्रों का जाप करते हैं, जिसमें “सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।” मंत्र प्रमुख है।
  4. भोग अर्पण: मां को विशेष भोजन का भोग अर्पित किया जाता है, जिसमें पूरी, हलवा, काले चने और नारियल होते हैं।
  5. कन्या पूजन: नौ कन्याओं की पूजा की जाती है जो मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक होती हैं। उन्हें भोजन, मिठाई और उपहार दिए जाते हैं।

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महागौरी के पीछे की पौराणिक कथा

प्राचीन कथाओं के अनुसार, मां महागौरी देवी पार्वती का वह रूप हैं, जिन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। तपस्या के कारण उनका रंग काला हो गया था, और भगवान शिव ने उन्हें गंगा के पवित्र जल से स्नान कराया जिससे वह अत्यंत गोरी हो गईं। यह परिवर्तन उनके भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पुराने पापों को दूर कर एक नए, शुद्ध आरंभ का प्रतीक है। मां महागौरी अपने भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य, धन और मानसिक शांति का वरदान देती हैं।

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पौराणिक महत्व

कहा जाता है कि मां महागौरी की पूजा करने से सभी पाप धुल जाते हैं और भक्त को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मिलता है। वह देवी हैं जो सभी इच्छाओं की पूर्ति करती हैं और दरिद्रता तथा दुख को समाप्त करती हैं। भक्त मानते हैं कि उनकी सच्ची श्रद्धा से मां की पूजा करने से जीवन की कठिनाइयां समाप्त हो जाती हैं।

 

मां महागौरी का मंत्र

सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।।

वंदना मंत्र

श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

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महागौरी माता की आरती

 

जय महागौरी जगत की माया।

 

जया उमा भवानी जय महामाया।।

 

हरिद्वार कनखल के पासा।

 

महागौरी तेरा वहां निवासा।।

 

चंद्रकली और ममता अंबे।

 

जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।

 

भीमा देवी विमला माता।

 

कौशिकी देवी जग विख्याता।।

 

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।

 

महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।

 

सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।

 

उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।

 

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।

 

तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।

 

तभी मां ने महागौरी नाम पाया।

 

शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।

 

शनिवार को तेरी पूजा जो करता।

 

मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।

 

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।

 

महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।

शारदीय नवरात्रि में महागौरी की पूजा का महत्व

शारदीय नवरात्रि के दौरान महागौरी की पूजा करना भक्तों को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाता है। मां महागौरी कल्याणकारी देवी हैं और उनकी कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। यह दिन उन लोगों के लिए भी शुभ होता है जो अपने जीवन में खुशी, आर्थिक समृद्धि और सफलता की कामना करते हैं।

वाराणसी में महागौरी का प्रसिद्ध मंदिर

मां महागौरी का प्रसिद्ध मंदिर वाराणसी के पंचगंगा घाट पर स्थित है। नवरात्रि के दौरान यहां हजारों भक्त मां के दर्शन करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं। यह मंदिर सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है, और यहां प्रतिदिन सुबह और शाम की आरती के साथ विशेष पूजा-अर्चना होती है।

शारदीय नवरात्रि (shardiya navratri 2024): महागौरी की पूजा के आठवें दिन का महत्व
शारदीय नवरात्रि (shardiya navratri 2024): महागौरी की पूजा के आठवें दिन का महत्व

वाराणसी में स्थित है मां महागौरी का मंदिर यहा पर क्लिक करे

इस मंदिर में भक्त यह मानते हैं कि उनके सभी कष्ट दूर हो सकते हैं और उन्हें शांति, समृद्धि और इच्छाओं की पूर्ति प्राप्त होती है। मंदिर में दोपहर की आरती के बाद भक्तों के लिए मुफ्त प्रसाद वितरण भी किया जाता है।

शारदीय नवरात्रि 2024 में मां महागौरी की पूजा करें और अपने जीवन में शांति और समृद्धि प्राप्त करें।

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नौ दिनों के उत्सव में माँ दुर्गा के नौ रूपों के अनुसार अलग-अलग भोग अर्पित किए जाते हैं। यहां हम आपको कुछ देवियों के प्रिय भोग के बारे में बता रहे हैं:

  1. माँ शैलपुत्री (Maa Shailputri) नवरात्रि के पहले दिन, माँ शैलपुत्री को विशेष रूप से पूजा जाता है। उनको सफेद रंग पसंद है और उनके भोग में गाय का घी अर्पित किया जाता है।
  2. माँ ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) दूसरे दिन, माँ ब्रह्मचारिणी को पूजा जाता है और उनको शक्कर और पंचामृत का भोग अर्पित किया जाता है।
  3. माँ चंद्रघंटा तीसरे दिन, माँ चंद्रघंटा को दूध का भोग अर्पित किया जाता है।
  4. माँ कुष्मांडा चौथे दिन, माँ कुष्मांडा को मालपुए का भोग अर्पित किया जाता है।
  5. माँ स्कंदमाता पांचवे दिन, माँ स्कंदमाता को केले का भोग अर्पित किया जाता है।
  6. माँ कात्यायनी छठे दिन, माँ कात्यायनी को मीठे पान या लौकी का भोग अर्पित किया जाता है।
  7. माँ कालरात्रि सातवे दिन, माँ कालरात्रि को गुड़ का भोग अर्पित किया जाता है।
  8. माँ महागौरी आठवे दिन, माँ महागौरी को नारियल का भोग अर्पित किया जाता है।
  9. माँ सिद्धदात्री नौवे दिन, माँ सिद्धदात्री को चना मसाला या हलवा पूड़ी का भोग अर्पित किया जाता है।

पूछे जाने वाले प्रश्न 

1.शारदीय नवरात्रि का क्या महत्व है?
शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों को समर्पित होता है। यह त्योहार नौ दिनों तक मनाया जाता है और अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है।

2.मां महागौरी कौन हैं?
मां महागौरी देवी दुर्गा का आठवां रूप हैं, जो शांति, समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक हैं। नवरात्रि के आठवें दिन उनकी पूजा की जाती है, जिसे दुर्गा अष्टमी कहा जाता है।

3.नवरात्रि में महागौरी की पूजा कैसे की जाती है?
भक्त मां महागौरी की पूजा के दौरान सफेद फूल अर्पित करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं, और उन्हें विशेष भोग अर्पित करते हैं। इस दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है।

4.मां महागौरी की पूजा का महत्व क्या है?
मां महागौरी की पूजा से पिछले पाप धुल जाते हैं, बाधाएं समाप्त होती हैं, और जीवन में समृद्धि, खुशी और सफलता मिलती है।

5.मां महागौरी का मंदिर कहां स्थित है?
मां महागौरी का प्रसिद्ध मंदिर वाराणसी के पंचगंगा घाट पर स्थित है, जहां नवरात्रि के दौरान हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

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