Ujjain में 1500 डमरू वादकों ने महाकाल लोक के शक्तिपथ पर डमरू वादन कर नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया, जिससे पूरी नगरी शिव की भक्ति में डूबी रही।
इस खबर की महत्वपूर्ण बातें
- उज्जैन में 1500 डमरू वादकों ने बनाया विश्व रिकॉर्ड
- भगवान भोलेनाथ की नगरी में डमरू नाद का महाकाव्य!
- उज्जैन का डमरू नाद: धार्मिक आस्था या दिखावा?
उज्जैन, 5 अगस्त, 2024 – श्रावण मास के तीसरे सोमवार को उज्जैन में एक अद्वितीय आयोजन ने नई आभा बिखेरी। महाकालेश्वर मंदिर के महाकाल लोक स्थित शक्तिपथ पर 1500 डमरू वादकों ने अपनी मनमोहक और लयबद्ध प्रस्तुति देकर विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया। भगवान भोलेनाथ के प्रिय वाद्य यंत्र डमरू के मंगल नाद से अवंतिका नगरी गूंज उठी।
इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में उज्जैन ने फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन न्यूयॉर्क के 488 डमरू वादन के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर यह अद्वितीय आयोजन संभव हुआ, जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के एडिटर श्री ऋषिनाथ ने प्रमाणित किया।
कार्यक्रम में 25 दलों के 1500 डमरू वादकों ने भस्म आरती की धुन पर डमरू वादन कर भगवान महाकाल की स्तुति की। इस अद्भुत और अनूठे आयोजन में भगवा वस्त्रों में सजे डमरू वादकों की प्रस्तुति ने सभी को भाव-विभोर कर दिया। Ujjain नगरी डमरू की गूंज से सराबोर हो गई।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने डमरू वादन के विश्व रिकॉर्ड के लिए उज्जैन को बधाई और शुभकामनाएं दीं। उनके विशेष प्रयासों से बाबा महाकाल की सवारी और भी भव्य और दिव्य होती जा रही है। पिछली दो सवारियों में जनजातीय लोकनृत्यों और 350 सदस्यीय पुलिस बैंड की प्रस्तुति भी शामिल रही।
महाकाल लोक के रुद्रसागर के समीप शक्तिपथ पर आयोजित इस कार्यक्रम में सांसद श्री अनिल फिरोजिया, राज्यसभा सांसद श्री उमेश नाथ महाराज, और महाकाल प्रबंध समिति के सदस्य भी उपस्थित थे। इस आयोजन ने न केवल उज्जैन बल्कि पूरे भारत को गर्व का अनुभव कराया।
पूछे जाने वाले प्रश्न
- डमरू वादन के विश्व रिकॉर्ड में कितने वादक शामिल थे? इस विश्व रिकॉर्ड में 1500 डमरू वादक शामिल थे।
- इस कार्यक्रम का आयोजन कब और कहाँ हुआ? यह कार्यक्रम 5 अगस्त, 2024 को उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के महाकाल लोक स्थित शक्तिपथ पर हुआ।
- यह रिकॉर्ड किसके द्वारा प्रमाणित किया गया? इस रिकॉर्ड को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के एडिटर श्री ऋषिनाथ द्वारा प्रमाणित किया गया।
- इस आयोजन के पीछे किसकी पहल थी? इस अद्वितीय आयोजन की पहल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने की थी।
- इस कार्यक्रम में और कौन-कौन से विशेष अतिथि शामिल थे? इस कार्यक्रम में सांसद श्री अनिल फिरोजिया, राज्यसभा सांसद श्री उमेश नाथ महाराज, और महाकाल प्रबंध समिति के सदस्य शामिल थे।
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