Chaitra Navratri 2024 के चौथे दिन, मां कूष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व है। इस महापर्व में भक्तों को मां कूष्मांडा की आराधना करके संकटों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन के पूजन विधि को जानना और महत्वपूर्ण मंत्रों का जाप करना, भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का स्रोत बनता है।


इस खबर की महत्वपूर्ण बातें 

  1. चैत्र नवरात्रि 2024: चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा का महत्व और विधि
  2. चैत्र नवरात्रि 2024: मां कूष्मांडा के पूजन से सभी मनोकामनाएं पूरी
  3. विवाद: मां कूष्मांडा की पूजा पर मतभेद और उसके परिणाम

चैत्र नवरात्रि, भक्ति और आराधना का महापर्व, हर दिन अपने विशेष भव्य रंग में खिलता है, हर दिन एक नए देवी-देवता की मूर्ति का पूजन किया जाता है। चौथे दिन को मां कूष्मांडा की विशेष पूजा का महत्व अपरिमित है। इस दिन मां कूष्मांडा की आराधना से भक्तों को संकटों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

मां कूष्मांडा की पूजा करने से भक्तों को संकटों से मुक्ति मिलती है और वे समृद्धि और सफलता की कामना करते हैं। उनकी आराधना से जीवन में खुशियाँ, शांति और समृद्धि का समृद्ध स्रोत बनता है।

चैत्र नवरात्रि का महोत्सव भगवान दुर्गा और उनकी दिव्य स्वरूपों के प्रति अनवरत श्रद्धांजलि है। भक्तों के मां कूष्मांडा की पूजा में लगन, आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए और आत्म-अन्वेषण और ज्ञान के एक आध्यात्मिक यात्रा पर निकलने के साथ-साथ परंपरा को अपनाना है। कूष्मांडा माता की दिव्य कृपा से भक्तों के जीवन का मार्ग प्रकाशित हो और उन्हें समृद्धि और खुशियों से आशीर्वादित करें।

कानपुर ज़िले के घाटमपुर है मां कूष्मांडा का मंदिर

नवरात्र का चौथा दिन मां कुष्मांडा देवी का होता है. मां कुष्मांडा देवी का एशिया का सबसे बड़ा मंदिर और सिद्ध पीठ में से एक कानपुर के घाटमपुर इलाके में मौजूद है. यहां पर नवरात्र में भक्तों की बड़ी संख्या में भीड़ माता के दर्शन करने के लिए आती है.

कानपुर मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर बस से घाटमपुर में यह सिद्ध पीठ स्थित है. जहां नवरात्र में दूर-दूर से भक्त माता के दर्शन करने के लिए आते हैं. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो लोग आंखों की किसी समस्या से ग्रसित होते हैं. वह अगर मंदिर में माता की मूर्ति से नीर लेकर अपनी आंखों में लगाते हैं तो उनके आंखों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. इतना ही नहीं शारीरिक रोगों से दूर होने के लिए भी लोग इस मंदिर में आते हैं और उन्हें अत्यधिक शारीरिक लाभ मिलता है. आंखों के रोग ठीक हो जाने के बाद लोग यहां पर माता के चरणों में सोने और चांदी की आंखों को भी चढ़ाते हैं. इसकी भी विशेष मान्यता इस मंदिर में है.

माता की पिंडी से रिसता रहता है जल

मंदिर कमेटी के सदस्य गुड्डू पंडित ने बताया कि यह मंदिर बेहद प्राचीन और ऐतिहासिक है. यह माता के सिद्धपीठो में से एक है और एशिया का सबसे बड़ा मां कुष्मांडा देवी का मंदिर है. यहां के लिए यह विशेष मान्यता है कि जो भी माता के चरणों में चढ़े नीर को अपनी आंखों में लगता है. उसके आंखों के सारे रोग ठीक हो जाते हैं.

कानपुर ज़िले के घाटमपुर है मां कूष्मांडा का मंदिर यहा पर क्लिक करे

Chaitra Navratri 2024 : नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कूष्मांडा की पूजा, जानिए पूजन विधि, महत्व और मंत्र
Chaitra Navratri 2024 : नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कूष्मांडा की पूजा, जानिए पूजन विधि, महत्व और मंत्र

पूजाविधि

देवी कुष्मांडा की पूजा में कुमकुम, मौली, अक्षत, पान के पत्ते, केसर और शृंगार आदि श्रद्धा पूर्वक चढ़ाएं। सफेद कुम्हड़ा या कुम्हड़ा है तो उसे मातारानी को अर्पित कर दें, फिर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और अंत में घी के दीप या कपूर से मां कूष्मांडा की आरती करें। आरती के बाद उस दीपक को पूरे घर में दिखा दें ऐसा करने से घर की नकारात्मकता दूर होती है। अब मां कूष्मांडा से अपने परिवार के सुख-समृद्धि और संकटों से रक्षा का आशीर्वाद लें। देवी कुष्मांडा की पूजा अविवाहित लड़कियां करती हैं, तो उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ती होती है।सुहागन स्त्रियां को अखंड सौभाग्य मिलता है।

मां कूष्मांडा की पूजा का महत्व

देवी कूष्माण्डा अपने भक्तों को रोग,शोक और विनाश से मुक्त करके आयु,यश,बलऔर बुद्धि प्रदान करती हैं। जिस व्यक्ति को संसार में प्रसिद्धि की चाह रहती है, उसे मां कूष्मांडा की पूजा करनी चाहिए।  देवी की कृपा से उसे संसार में यश की प्राप्ति होगी।

मां कूष्मांडा का मंत्र

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

 

मां कूष्मांडा आरती

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।

मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।

शाकंबरी मां भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे।

भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।

स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदम्बे।

सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।

पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

मां के मन में ममता भारी।

क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।

दूर करो मां संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।

मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।

भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

 

पूछे जाने वाले प्रश्न 

  1.  चैत्र नवरात्रि क्या है? चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म का एक पर्व है जो मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। यह चैत्र माह में आता है, जो कि मार्च या अप्रैल में होता है, और नौ दिन तक चलता है।
  2. चैत्र नवरात्रि का महत्व क्या है? चैत्र नवरात्रि के आरंभ से संबंधित है कि यह वसंत ऋतु की शुरुआत को चिह्नित करता है और हिंदुओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। माना जाता है कि इन नौ दिनों में मां दुर्गा अपने भक्तों को खुशी, समृद्धि और सफलता प्रदान करती हैं।
  3. Chaitra Navratri 2024 की तिथियाँ क्या हैं? Chaitra Navratri 2024 9 अप्रैल से शुरू होकर 18 अप्रैल को समाप्त होगी।
  4. चैत्र नवरात्रि में भोग क्या होता है? चैत्र नवरात्रि में भोग उन नौ भगवती दुर्गा को अर्पित किया जाता है जिनका उपासना किया जाता है। प्रत्येक दिन, भक्त देवी के लिए एक विशेष वस्त्र तैयार करते हैं और उसे भोग के रूप में प्रस्तुत करते हैं।
  5. चैत्र नवरात्रि में पूजने जाने वाली नौ देवियां कौन-कौन सी हैं? चैत्र नवरात्रि में पूजने जाने वाली नौ देवियां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री हैं।
  6. चैत्र नवरात्रि के दौरान कुछ सामान्य भोग क्या होते हैं? चैत्र नवरात्रि के दौरान कुछ सामान्य भोग में हलवा, क्षीर, लड्डू, फल, नारियल, दूध, और अन्य दूध से बने उत्पाद शामिल होते हैं। प्रत्येक देवी के लिए विशेष भोग होता है।
  7. मां ब्रह्मचारिणी का जन्म कैसे हुआ?मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय के घर जन्म लिया था। नारदजी की सलाह पर उन्होंने कठोर तप किया, ताकि वे भगवान शिव को पति स्वरूप में प्राप्त कर सकें। कठोर तप के कारण उनका ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी नाम पड़ा। भगवान शिव की आराधना के दौरान उन्होंने 1000 वर्ष तक केवल फल-फूल खाए तथा 100 वर्ष तक शाक खाकर जीवित रहीं।
  8. ब्रह्मचारिणी माता को क्या पसंद है? मां ब्रह्मचारिणी का भोग (Devi Brahmacharini Bhog): मां के इस स्वरुप को मिश्री, दूध और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू । देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥ माँ का वात्सल्य (Devi Brahmacharini Blessing): माता की कृपा से लंबी आयु , आरोग्य ,अभय , आत्मविश्वास व सौभाग्य का वरदान देतीं हैं।
  9. मां ब्रह्मचारिणी किसका प्रतीक है?माँ दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्तफल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है।
  10. देवी कुष्मांडा की कहानी क्या है? कुष्मांडा देवी की कथा माना जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति से पूर्व जब चारों ओर अंधकार था और कोई भी जीव जंतु नहीं था तो मां दुर्गा ने इस अंड यानी ब्रह्मांड की रचना की थी। इसी कारण उन्हें कूष्मांडा कहा जाता है। सृष्टि की उत्पत्ति करने के कारण इन्हें आदिशक्ति नाम से भी अभिहित किया जाता है।
  11. कुष्मांडा देवी का दूसरा नाम क्या है?देवी कुष्मांडा के आठ हाथ हैं और इसलिए उन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है।
  12. कुष्मांडा नाम क्यों पड़ा?मान्यता है कि मां दुर्गा के चौथे स्वरूप की मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की उत्पत्ती हुई थी. इसी के चलते मां का नाम कुष्मांडा पड़ा.
  13. चैत्र नवरात्रि कैसे मनाई जाती है? चैत्र नवरात्रि के दौरान, भक्त उपवास रखते हैं, विशेष पूजाएँ करते हैं, और मां दुर्गा के समर्पित मंदिरों का दौरा करते हैं। वे अपने घरों को सजाते हैं, समुदायिक सभाओं का आयोजन करते हैं, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।
  14. चैत्र नवरात्रि में भोग अर्पित करने के क्या लाभ होते हैं? चैत्र नवरात्रि में भोग अर्पित करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो कि समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और जीवन में सफलता लाता है। यह भी देवी के प्रति कृतज्ञता का एक तरीका माना जाता है।
  15. क्या गैर-हिन्दू लोग चैत्र नवरात्रि के उत्सव में शामिल हो सकते हैं? चैत्र नवरात्रि एक हिन्दू त्योहार है, लेकिन सभी धर्मों और पृष्ठभूमियों के लोगों का स्वागत इसके उत्सव में किया जाता है। यह खुशी, समरसता, और आध्यात्मिक विकास का समय है, जो उन सभी के लिए खुला है जो इस उत्सव में शामिल होना चाहते हैं।
  16. चैत्र नवरात्रि को घर पर कैसे मनाया जा सकता है? घर पर चैत्र नवरात्रि मनाने के लिए, लोग प्रतिदिन पूजा कर सकते हैं, भोग अर्पित कर सकते हैं, दुर्गा मंत्रों का जाप कर सकते हैं, और यदि संभव हो तो उपवास कर सकते हैं। इन नौ दिनों के दौरान मां दुर्गा की विजयोत्सव की कहानियों को पढ़ना या सुनना भी सामान्य होता है।

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