Ujjain Top 10 reasons Mahakal City, महाकाल की नगरी, जिसे सभी तीर्थों में सर्वोत्तम माना जाता है। इसके 10 महत्वपूर्ण कारण जो इसे विशेष बनाते हैं।
इस खबर की महत्वपूर्ण बातें
- उज्जैन क्यों है सभी तीर्थों में सर्वश्रेष्ठ, जानिए 10 कारण
- उज्जैन: स्वर्ग से भी बढ़कर! जानिए महाकाल की नगरी के रहस्य
- क्या उज्जैन वास्तव में स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है? जानिए सच्चाई
उज्जैन, जिसे महाकाल की नगरी कहा जाता है, भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। इसे स्वर्ग से भी श्रेष्ठ माना जाता है, और इसके कई कारण हैं। यहां प्रस्तुत हैं वे 10 प्रमुख कारण, जो उज्जैन को विशेष बनाते हैं।
Ujjain Top 10 reasons Mahakal City से जुड़ी चौंकाने वाली बातें!
1.महाकाल ज्योतिर्लिंग: उज्जैन स्थित महाकाल ज्योतिर्लिंग को सभी ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख माना जाता है। पुराणों में उल्लेख है कि यह ज्योतिर्लिंग कालों के काल महाकाल के रूप में पूजित है। यहां की भस्म आरती, जो चिता की ताज़ी भस्म से की जाती है, पूरे भारत में अनोखी है। नागचंद्रेश्वर मंदिर, जो महाकाल मंदिर के ऊपरी तल पर स्थित है, वर्ष में केवल एक बार नागपंचमी पर दर्शन के लिए खुलता है।
2.शक्तिपीठ: उज्जैन में दो प्रमुख शक्तिपीठ हैं—हरसिद्धि माता और गढ़कालिका माता। पुराणों के अनुसार, यहां सती के अंग गिरे थे, जिससे यह स्थान शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हुआ। यहां देवी के दर्शन से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
3.काल भैरव मंदिर: उज्जैन के भैरवगढ़ में स्थित काल भैरव मंदिर का महत्व अनोखा है। यहां काल भैरव की मूर्ति को मदिरापान कराया जाता है। यह मंदिर लगभग 6000 वर्ष पुराना माना जाता है और इसे शक्तिशाली तांत्रिक स्थल के रूप में भी जाना जाता है।
4.सिद्धों की तपोभूमि: उज्जैन को ऋषि-मुनियों की तपोभूमि कहा जाता है। यहां गढ़कालिका क्षेत्र में गुरु मत्स्येन्द्रनाथ का सिद्ध स्थल है। जैन तीर्थंकर महावीर स्वामी ने भी यहां प्रवास किया था। विक्रमादित्य के भाई राजा भर्तृहरि ने यहां तपस्या की थी। यह नगर ऋषियों और संतों की साधना से पवित्र हुआ है।
5.मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी और कुंभ मेला: मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी के तट पर हर 12 वर्ष में कुंभ का आयोजन होता है। यह वही स्थान है जहां अमृत कलश से अमृत की बूंद गिरी थी। इसी कारण उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ का आयोजन होता है।
6.पवित्र सिद्धवट: उज्जैन का सिद्धवट पवित्रता का प्रतीक है। इसे चार प्रमुख पवित्र वटों में से एक माना जाता है। यहां पिंडदान और तर्पण के लिए विशेष महत्व है। इसे शक्तिभेद तीर्थ भी कहा जाता है।
7.श्रीराम, हनुमान और कृष्ण से जुड़े स्थल: महाकाल मंदिर और गढ़कालिका मंदिर की कथाएं हनुमानजी से जुड़ी हैं। यहां श्रीराम, कृष्ण और बलराम ने अपने गुरुकुल की शिक्षा प्राप्त की थी। यहां के आश्रम और स्थानों का धार्मिक महत्व है।
8.श्री मंगलनाथ मंदिर: यह मंदिर मंगल ग्रह की जन्मस्थली के रूप में प्रसिद्ध है। यहां मंगल ग्रह की शांति के लिए विशेष पूजा-अर्चना होती है। ज्योतिष और खगोल विज्ञान के दृष्टिकोण से यह स्थान महत्वपूर्ण है।
9.नगरकोट की रानी: नगरकोट की रानी उज्जैन के दक्षिण-पश्चिम कोने की सुरक्षा देवी मानी जाती है। यह स्थल विक्रमादित्य और भर्तृहरि की कथाओं से जुड़ा है। यह स्थान नाथ संप्रदाय की परंपरा से भी संबंधित है।
10.विक्रमादित्य की नगरी: उज्जैन चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य की नगरी है। विक्रमादित्य की न्यायप्रियता और पराक्रम से जुड़ी कई कथाएं यहां प्रचलित हैं। उज्जैन में राजा विक्रमादित्य के बाद कोई भी राजा रात नहीं रुक सकता, क्योंकि महाकाल बाबा को यहां का एकमात्र राजा माना जाता है।
पूछे जाने वाले प्रश्न
- उज्जैन को तीर्थों में सर्वश्रेष्ठ क्यों माना जाता है? उज्जैन को महाकाल ज्योतिर्लिंग, शक्तिपीठ, और कुंभ मेला जैसे धार्मिक महत्व के कारण सर्वश्रेष्ठ तीर्थ माना जाता है।
- महाकाल मंदिर की भस्म आरती क्या है? महाकाल मंदिर की भस्म आरती चिता की ताज़ी भस्म से की जाती है, जो इसे अद्वितीय बनाती है।
- उज्जैन में कौन-कौन से शक्तिपीठ हैं? उज्जैन में हरसिद्धि माता और गढ़कालिका माता के शक्तिपीठ हैं।
- काल भैरव मंदिर की विशेषता क्या है? काल भैरव मंदिर में भैरव की मूर्ति को मदिरापान कराया जाता है, जो इसे विश्व में अनोखा बनाता है।
- सिद्धवट का धार्मिक महत्व क्या है? सिद्धवट पिंडदान और तर्पण के लिए पवित्र माना जाता है और इसे शक्तिभेद तीर्थ के रूप में जाना जाता है।
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