ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेलवे प्रोजेक्ट तीर्थयात्रियों के लिए एक बड़ी सुविधा होगी, जिससे केदारनाथ (kedarnath) और बदरीनाथ जैसे धार्मिक स्थलों की यात्रा आसान हो जाएगी।
इस खबर की महत्वपूर्ण बातें
- केदारनाथ धाम की यात्रा होगी आसान, हिमालय में चलेगी ट्रेन
- भारत की सबसे लंबी सुरंग के साथ केदारनाथ की यात्रा अब सीधे ट्रेन से!
- क्या हिमालय में ट्रेन चलाना सही कदम है? केदारनाथ की यात्रा में बड़ा बदलाव
भारत के पहाड़ी राज्यों में अब तीर्थयात्रियों के लिए ट्रेन से यात्रा करना एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेलवे ट्रैक बिछाने का काम तेजी से चल रहा है, और 2026 के अंत तक, यात्रियों को केदारनाथ धाम तक पहुँचने के लिए कठिन पैदल यात्रा या लंबी सड़क यात्राओं से राहत मिलेगी।
125 किमी लंबा रेल प्रोजेक्ट
यह महत्वाकांक्षी रेलवे प्रोजेक्ट 125 किमी लंबा है, जिसमें से 105 किमी का हिस्सा सुरंगों और पुलों के जरिए बनाया जा रहा है। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाके में रेलवे लाइन बिछाना बेहद चुनौतीपूर्ण है, लेकिन इस परियोजना को ध्यान से डिजाइन किया गया है ताकि यात्रियों को सुरक्षा और सुविधा दोनों मिल सके। इस परियोजना के हिस्से के रूप में 35 पुल और 17 सुरंगें बनाई जा रही हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि देवप्रयाग और लछमोली के बीच बनने वाली 15.1 किमी लंबी सुरंग देश की सबसे बड़ी सुरंग होने जा रही है। यह न केवल एक तकनीकी चमत्कार होगा, बल्कि हिमालय के दुर्गम इलाकों में रेलवे नेटवर्क को मजबूत करेगा।
13 प्रमुख स्टेशन
इस रेलवे मार्ग पर कुल 13 स्टेशन बनाए जा रहे हैं, जो यात्रियों को विभिन्न धार्मिक और पर्यटन स्थलों तक आसानी से पहुँचने में मदद करेंगे। इन स्टेशनों के नाम हैं:
- ऋषिकेश
- मुनि की रेती
- शिवपुरी
- मंजिलगांव
- सकनी
- देवप्रयाग
- कीर्तिनगर
- श्रीनगर
- धारी
- रुद्रप्रयाग
- घोलतीर
- घोचर
- कर्णप्रयाग
कर्णप्रयाग उतरने के बाद, यात्री आगे की यात्रा के लिए बस या निजी वाहन से बदरीनाथ और केदारनाथ (kedarnath) धाम जा सकेंगे।
तीर्थयात्रा और पर्यटन को बढ़ावा
यह रेल परियोजना उत्तराखंड में न केवल तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाजनक होगी, बल्कि इस क्षेत्र के पर्यटन उद्योग में भी भारी उछाल लाएगी। केदारनाथ (kedarnath) और बदरीनाथ जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों पर जाने वाले तीर्थयात्रियों को अब पहले की तुलना में कम समय में पहुँचने का मौका मिलेगा, और इससे पर्यटन उद्योग को एक नया आयाम मिलेगा।
चुनौतियाँ और संभावित लाभ
हालांकि, इस परियोजना में कई चुनौतियाँ हैं, जैसे कठिन भू-आकृति और पर्यावरणीय जोखिम। लेकिन सरकार और रेलवे विभाग यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि इस परियोजना को बिना किसी पर्यावरणीय नुकसान के पूरा किया जाए। इसके साथ ही, यह प्रोजेक्ट क्षेत्र के आर्थिक विकास में भी अहम भूमिका निभाएगा।
क्या आप भी केदारनाथ (kedarnath) धाम की यात्रा ट्रेन से करना चाहेंगे? अपने विचार कमेंट में साझा करें और इस यात्रा के बारे में अधिक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर बने रहें।
पूछे जाने वाले प्रश्न
1.कर्णप्रयाग से केदारनाथ कैसे पहुँच सकते हैं? कर्णप्रयाग पहुँचने के बाद, यात्री बस या निजी वाहन से केदारनाथ (kedarnath) तक की यात्रा कर सकते हैं।
2.क्या इस रेलवे प्रोजेक्ट से यात्रा समय कम होगा? हाँ, इस परियोजना से यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा, और यात्रियों को सुविधाजनक यात्रा का अनुभव मिलेगा।
3.यह प्रोजेक्ट कब तक पूरा हो जाएगा? रेलवे अधिकारियों के अनुसार, 2026 के अंत तक इस प्रोजेक्ट के पूरा होने की उम्मीद है।
4.क्या रेलवे प्रोजेक्ट पर्यावरण को नुकसान पहुँचा सकता है? परियोजना को पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि प्रकृति पर कम से कम प्रभाव पड़े।
5.कर्णप्रयाग रेल लाइन पर कौन-कौन से प्रमुख स्टेशन होंगे? इस लाइन पर कुल 13 स्टेशन होंगे, जिनमें ऋषिकेश, मुनि की रेती, श्रीनगर और रुद्रप्रयाग शामिल हैं।
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