UP Lok Sabha Elections 2024 सामाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव को BJP की संघमित्रा मौर्य ने 2019 में पराजित किया था। बदायूं में तीसरे चरण में सात मई को मतदान होगा और यहां 12 अप्रैल से नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू होगी।

Up lok sabha elections 2024 : बदायूं सीट पर शिवपाल नहीं,बेटे आदित्य यादव को टिकट देने की उठी मांग, पार्टी ने अखिलेश को भेजा प्रस्ताव
Up lok sabha elections 2024 : बदायूं सीट पर शिवपाल नहीं,बेटे आदित्य यादव को टिकट देने की उठी मांग, पार्टी ने अखिलेश को भेजा प्रस्ताव

इस खबर की महत्वपूर्ण बातें:

  1. UP Loksabha Election: बदायूं सीट पर आदित्य यादव को सपा का उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव
  2. सीट बदलाव का तूफान: शिवपाल के बेटे को टिकट देने पर हलचल
  3. शिवपाल के बेटे को उम्मीदवार बनाने से हुई पार्टी की अंतर्दृष्टि में टकराव

UP Loksabha Election : बदायूं से शिवपाल यादव के बेटे आदित्य को टिकट देने की उठी मांग

समाजवादी पार्टी (SP) ने मंगलवार को एक कार्यकर्ता सम्मेलन में बदायूं लोकसभा सीट (Badaun Loksabha Seat) से शिवपाल सिंह यादव की जगह उनके बेटे आदित्य यादव (Aditya Yadav) को उम्मीदवार बनाए जाने का प्रस्ताव पारित किया है। बड़ी बात ये है कि बदायूं से पार्टी ने शिवपाल यादव (Shivpal Yadav)  के नाम का ही ऐलान किया है, अब ऐसे में अगर वह इस सीट को छोड़ते हैं, तो अखिलेश यादव की टेंशन और बढ़ जाएगी।

शिवपाल सिंह यादव ने पत्रकारों से इसकी पुष्टि की। यहां चुनावी दौरे पर आये सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव से जब पत्रकारों ने पूछा कि चर्चा चल रही है कि आदित्य यादव बदायूं से चुनाव लड़ेंगे, तो उन्होंने कहा, “यहां बबराला सम्मेलन में तो प्रस्‍ताव पारित कर दिया गया है। सम्मेलन में कार्यकर्ताओं ने प्रस्‍ताव पारित कर दिया है और अब यह प्रस्ताव राष्ट्रीय नेतृत्व के पास जाएगा, राष्ट्रीय नेतृत्व की सहमति बननी चाहिए।”

इसके पहले उन्होंने कहा, “आज गुन्नौर विधानसभा क्षेत्र के बबराला में ऐतिहासिक कार्यकर्ता सम्मेलन हुआ है और इसी तरीके से बिसौली, बदायूं, सहसवान विधानसभा क्षेत्रों का सम्मेलन हो चुका है। जनता सपा को जिताने का मन बना चुकी है।”

क्या बोले धर्मेंद्र यादव?

इस बीच, पत्रकारों ने सम्मेलन में पहुंचे सपा के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव से पूछा कि शिवपाल सिंह यादव ने मंच से कहा है कि यहां (बदायूं) आदित्य यादव चुनाव लड़ेंगे, तो जवाब में उन्होंने कहा, “पार्टी का जो भी फैसला होगा, मुझे तो और खुशी होगी।” हालांकि, उन्होंने कहा, ‘‘चाचा के लिए काम करने में थोड़ी हिचक रहती है, आदित्य के लिए और ज्यादा काम करेंगे।’’ धर्मेंद्र यादव ने एक सवाल के जवाब में आरोप लगाया कि 2019 में स्वाभाविक हार नहीं थी, बेईमानी से BJP जीती थी। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव को BJP की संघमित्रा मौर्य ने पराजित किया था।

बदायूं में बदला जा चुका है उम्मीदवार

सपा ने बदायूं संसदीय क्षेत्र से सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चचेरे भाई और पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया था, लेकिन बाद में उन्हें आजमगढ़ का उम्मीदवार घोषित किया गया, जहां वह 2022 में हुए उपचुनाव में भोजपुरी गायक और बीजेपी के दिनेश लाल यादव से पराजित हो गए थे। बदायूं में तीसरे चरण में सात मई को मतदान होगा और यहां 12 अप्रैल से नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू होगी।

इस समय, उत्तर प्रदेश में राजनीतिक घमासान का माहौल बढ़ रहा है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के लिए चुनावी समय क्रियाशील हो रहा है। शिवपाल यादव के बेटे को उम्मीदवार बनाने की मांग और उसका प्रस्ताव पार्टी की विचारधारा के खिलाफ भी हो सकता है। इस चरम संघर्ष में, क्षेत्र के निवासियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सही उम्मीदवार का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।

पूछे जाने वाले प्रश्नों 

  1. क्या बदायूं लोकसभा सीट पर सामाजिक मुद्दों का प्रभाव होगा?हाँ, बदायूं लोकसभा सीट पर सामाजिक मुद्दों का प्रभाव होगा। यहां पर जातिवाद और पारिवारिक राजनीति का अहम रोल रहता है जिसका प्रभाव उम्मीदवार के चयन में हो सकता है।
  2. क्या अखिलेश यादव के लिए यह एक चुनौती है?हाँ, बदायूं सीट पर शिवपाल यादव के बेटे आदित्य को उम्मीदवार बनाने की मांग अखिलेश यादव के लिए एक चुनौती हो सकती है। इससे पहले भी उन्हें पार्टी के अंदरीय गठजोड़ में समस्याएं आई हैं।
  3. क्या धर्मेंद्र यादव ने पिछले चुनाव के नतीजों को लेकर कोई आरोप लगाए हैं?हाँ, धर्मेंद्र यादव ने पिछले चुनाव के नतीजों को लेकर बेईमानी का आरोप लगाया है। उन्हें यह मान्यता है कि उनकी हार नहीं स्वाभाविक थी, बल्कि बेईमानी से BJP ने जीत हासिल की थी।
  4. क्या अखिलेश यादव के चुनावी उत्साह में किसी परिवर्तन का संकेत है?हाँ, अखिलेश यादव के चुनावी उत्साह में किसी परिवर्तन का संकेत है। उनके लिए यह एक महत्वपूर्ण समय है और वे अपनी पार्टी को प्रचंड बनाने के लिए प्रयासरत हैं।
  5. क्या इस चुनावी मुद्दे के बारे में राजनीतिक गुरुओं का क्या कहना है?हाँ, इस चुनावी मुद्दे के बारे में राजनीतिक गुरुओं ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। वे समाजवादी पार्टी के इस चयन को सांप्रदायिक राजनीति का परिणाम मान रहे हैं जो राजनीतिक माहौल को गर्मा रही है।

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