तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर (Tilbhandeshwar Mahadev Temple) में स्थित शिवलिंग का आकार हर साल तिल के आकार में बढ़ता है, जिसे धार्मिक आस्था का चमत्कार माना जाता है। कहा जाता है कि औरंगजेब ने इसे तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन उसे असफलता मिली।
इस खबर की महत्वपूर्ण बातें
- तिलभांडेश्वर महादेव: एक चमत्कारी शिवलिंग जिसका आकार हर साल बढ़ रहा है
- औरंगजेब को हिला देने वाला चमत्कार: तिलभांडेश्वर महादेव का बढ़ता शिवलिंग
- आस्था या विज्ञान: क्या सच में तिलभांडेश्वर महादेव का शिवलिंग लगातार बढ़ रहा है?
काशी, जिसे भगवान शिव की नगरी कहा जाता है, अपने अद्वितीय मंदिरों और शिवलिंगों के लिए विश्वविख्यात है। यहां के मंदिरों में एक खास स्थान है तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर का, जो काशी विश्वनाथ मंदिर से महज 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां स्थित शिवलिंग का आकार हर साल तिल के दाने के समान बढ़ता है। यह शिवलिंग द्वापर युग से यहां स्थापित है और तभी से इसकी वृद्धि का सिलसिला जारी है।
Lord Shiva Tilbhandeshwar Mahadev Temple औरंगजेब और शिवलिंग का चमत्कार:
इतिहास में इस मंदिर का उल्लेख मुगल शासक औरंगजेब के साथ भी जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि जब औरंगजेब काशी आया था, तो उसने इस मंदिर को नष्ट करने के लिए सैनिक भेजे थे। लेकिन जैसे ही सैनिकों ने शिवलिंग को तोड़ने की कोशिश की, तो शिवलिंग से रक्त बहने लगा। इस अद्वितीय घटना को देखकर सैनिक डर के मारे वहां से भाग खड़े हुए और औरंगजेब भी इस चमत्कार से हतप्रभ रह गया।
Tilbhandeshwar Mahadev Temple अंग्रेजों की कोशिशें:
बाद में जब अंग्रेजों ने भारत पर शासन किया, तो उन्होंने भी इस चमत्कारी शिवलिंग के बारे में सुना। इसकी सच्चाई जानने के लिए उन्होंने शिवलिंग के चारों ओर एक मजबूत धागा बांध दिया ताकि यह देखा जा सके कि क्या वाकई इसका आकार बढ़ रहा है। कई वर्षों बाद, वह धागा शिवलिंग के बढ़ते आकार के कारण टूट गया। यह घटना अंग्रेजों के लिए भी चमत्कार से कम नहीं थी।
Tilbhandeshwar Mahadev Temple का यह चमत्कारी शिवलिंग न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि इतिहास और विज्ञान के लिए भी एक रहस्य है। इस शिवलिंग के प्रति लोगों की श्रद्धा आज भी बनी हुई है, और यह मंदिर काशी के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में गिना जाता है।
डिस्क्लेमर:यह जानकारी धार्मिक आस्थाओं और लोक मान्यताओं पर आधारित है. MahakalTimes इनकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है. इसे केवल जनरुचि को ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत किया गया है.
पूछे जाने वाले प्रश्न
- तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर कहाँ स्थित है?
तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर काशी (वाराणसी) में स्थित है, जो काशी विश्वनाथ मंदिर से लगभग 500 मीटर की दूरी पर है। - इस शिवलिंग का क्या विशेषता है?
तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग हर साल तिल के आकार में बढ़ता है, जिसे एक चमत्कार माना जाता है। - क्या औरंगजेब ने इस शिवलिंग को तोड़ने की कोशिश की थी?
हां, कहा जाता है कि औरंगजेब ने इस शिवलिंग को तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन शिवलिंग से रक्त बहने लगा, जिससे उसकी कोशिश नाकाम हो गई। - अंग्रेजों ने इस शिवलिंग की सच्चाई कैसे जानी?
अंग्रेजों ने शिवलिंग के चारों ओर एक मजबूत धागा बांधा था ताकि देखा जा सके कि इसका आकार बढ़ रहा है या नहीं। कुछ सालों के बाद, धागा प्रेशर के कारण टूट गया। - यह मंदिर धार्मिक दृष्टि से कितना महत्वपूर्ण है?
यह मंदिर धार्मिक आस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, और इसके चमत्कारी शिवलिंग के कारण भक्तों में इसकी बहुत मान्यता है।
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