Nirjala Ekadashi का व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। यह व्रत मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे करने से पूरे साल की एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है।
इस खबर की महत्वपूर्ण बातें
- निर्जला एकादशी का व्रत आज: शुभ मुहूर्त में करें पूजा, जानें इतिहास और महत्व
- निर्जला एकादशी 2024: भीमसेन के व्रत से मिलेगा साल भर की एकादशियों का फल!
- निर्जला एकादशी: क्या पानी न पीने का कठिन तप सभी पापों से मुक्ति दिला सकता है?
निर्जला एकादशी का व्रत आज, शुभ मुहूर्त में करें पूजा, ये है इतिहास और महत्व
Nirjala Ekadashi, जिसे Bhima Ekadashi भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। इस व्रत का पालन करने से पूरे साल की एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है। निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है क्योंकि इसमें पानी भी नहीं पिया जाता है।
इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून 2024 को रखा जा रहा है। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 4.03 बजे से सुबह 4.43 बजे तक और फिर 11.54 बजे से 12.50 बजे तक रहेगा। इस व्रत का पारण 19 जून को सुबह 5.24 बजे से 7.28 बजे तक किया जाएगा।
निर्जला एकादशी का इतिहास और महत्व
हिंदू धर्मग्रंथों में कहा गया है कि पांडवों में से भीमसेन ने इस व्रत का पालन किया था। भीमसेन, जिन्हें बहुत भूख लगती थी, ने एक बार व्यासजी से पूछा कि क्या ऐसा कोई व्रत है जिसे करने से साल भर की एकादशियों का फल मिल सके। तब व्यासजी ने उन्हें निर्जला एकादशी का व्रत करने का सुझाव दिया। इस व्रत का पालन करने से भीमसेन को वैकुंठ धाम की प्राप्ति हुई।
व्रत की विधि और पूजन
निर्जला एकादशी के दिन बिना जल के उपवास रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और श्रद्धालु अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करते हैं। विधिपूर्वक जल कलश का दान करने वालों को पूरे साल की एकादशियों का फल मिलता है। इस दिन विशेष रूप से संयमित रहकर और मौन व्रत का पालन करने का महत्व है।
व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
- पानी न पिएं: पवित्रीकरण के समय जल आचमन के अलावा अगले दिन सूर्योदय तक पानी नहीं पिया जाता है।
- मौन रहें: दिनभर कम बोलें और हो सके तो मौन रहने की कोशिश करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें: दिनभर न सोएं और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- झूठ और गुस्से से बचें: झूठ न बोलें, गुस्सा और विवाद न करें।
Nirjala Ekadashi का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना जाता है। इस व्रत का पालन करने से पूरे साल की एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त होता है और व्यक्ति सभी प्रकार के पापों से मुक्त होता है।
पूछे जाने वाले प्रश्न
- निर्जला एकादशी का व्रत कब किया जाता है?यह व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है।
- निर्जला एकादशी का व्रत क्यों महत्वपूर्ण है?इस व्रत का पालन करने से पूरे साल की एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है और सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।
- इस व्रत को किसने शुरू किया था?पौराणिक मान्यता के अनुसार, पांडवों में से भीमसेन ने इस व्रत का पालन किया था।
- निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त क्या है?इस साल 18 जून को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4.03 बजे से 4.43 बजे तक और अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.54 बजे से 12.50 बजे तक है।
- व्रत के दौरान कौन-कौन सी बातें ध्यान में रखनी चाहिए?व्रत के दौरान पानी नहीं पिएं, कम बोलें, मौन रहें, ब्रह्मचर्य का पालन करें और झूठ व गुस्से से बचें।
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