Lok Sabha Elections 2024:आदर्श आचार संहिता क्या होता है ? MCC लागू होते ही क्या बदल जाएगा? जानें गाइडलाइंस और इतिहास

लोकसभा चुनाव 2024 के समीप आते हुए, आदर्श आचार संहिता (MCC) के महत्व को समझना महत्वपूर्ण होता जा रहा है। यहाँ, हम MCC गाइडलाइंस और उनके द्वारा चुनावी प्रक्रिया में कैसे परिवर्तन आते हैं, इस पर विचार करेंगे। MCC, 1960 के केरल विधानसभा चुनाव के दौरान जन्मी है और चुनावों के दौरान राजनीतिक आचार को नियंत्रित करने का उद्देश्य रखती है।

Lok Sabha Elections 2024:आदर्श आचार संहिता क्या होता है ? MCC लागू होते ही क्या बदल जाएगा? जानें गाइडलाइंस और इतिहास
Lok Sabha Elections 2024:आदर्श आचार संहिता क्या होता है ? MCC लागू होते ही क्या बदल जाएगा? जानें गाइडलाइंस और इतिहास

 

इस खबर की महत्वपूर्ण बातें

  1. लोकसभा चुनाव 2024: आदर्श आचार संहिता क्या है और कैसे काम करती है?
  2. चौंकानेवाला खुलासा: MCC के लागू होने से चुनावी दायरे में कैसे होगा बदलाव!
  3. विवादास्पद बहस: क्या MCC के पालन से सही चुनावी प्रक्रिया हो पाती है?

लोकसभा चुनाव 2024: आदर्श आचार संहिता का महत्व और प्रभाव लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान, आदर्श आचार संहिता (MCC) एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो नैतिकता और राजनीतिक व्यवहार को नियंत्रित करने का काम करता है। चुनाव आयोग (EC) द्वारा चुनाव का शेड्यूल जारी होते ही यह संहिता लागू हो गई है। इससे चुनाव प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकते हैं। आइए, हम जानें कि आदर्श आचार संहिता क्या है और इसका चुनावों पर क्या प्रभाव होता है।

आदर्श आचार संहिता क्या है? आदर्श आचार संहिता का उद्देश्य चुनावों के दौरान प्रचार, मतदान, और मतगणना को संगठित, स्वच्छ, और शांतिपूर्ण बनाए रखना है। इसके अंतर्गत, सत्तारूढ़ दलों द्वारा राज्य मशीनरी और वित्त के किसी भी दुरुपयोग को रोकने का भी प्रयास किया जाता है।

आदर्श आचार संहिता का प्रभाव जब चुनाव आयोग आदर्श आचार संहिता को लागू करता है, तो यह राजनीतिक दलों के व्यवहार पर प्रभाव डालता है। इससे सरकार के सामान्य कामकाज में भी महत्वपूर्ण बदलाव आ सकते हैं। यह संहिता पिछले 60 सालों से विकसित होते आ रहा है और इसका इतिहास भारतीय चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से उभरता है।

चुनाव प्रक्रिया के दौरान आदर्श आचार संहिता का पालन चुनाव प्रक्रिया के दौरान, राजनीतिक दलों को आदर्श आचार संहिता का पालन करना चाहिए। यह दलों के बीच मतभेदों को सभ्यता से हल करने में मदद करता है और चुनाव प्रक्रिया को निर्मल और निष्क्रिय बनाए रखने में सहायक होता है।

राजनीतिक दलों की निगरानी और उनकी जिम्मेदारियां चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। चुनाव प्रचार और अभियान के समय, उन्हें निगरानी में रखा जाता है ताकि वे आदर्श आचार संहिता का पालन करें और मानक राजनीतिक व्यवहार को ध्यान में रखें। आयोग ने 1968 और 1969 के मध्यावधि चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता को तैयार किया था।

1979 में, निर्वावन आयोग ने राजनीतिक दलों के सम्मेलन में ‘सत्ता में दलों’ के आचरण की निगरानी के लिए एक अनुभाग जोड़कर संहिता को समेकित किया। उस समय, शक्तिशाली राजनीतिक अभिनेताओं को उनकी स्थिति का अनुचित लाभ प्राप्त करने से रोकने के लिए एक संशोधित संहिता जारी किया गया था।

2013 में एक संसदीय समिति ने सिफारिश की थी कि आदर्श आचार संहिता को वैधानिक बनाया जाए ताकि निर्वाचन आयोग को अपनी शक्ति का इस्तेमाल करने के लिए कोई वैकेंसी न रहे। समिति ने यह भी सुझाव दिया कि संहिता को चुनाव की अधिसूचना की तारीख से ही लागू किया जाए।

आदर्श आचार संहिता का वैधानिक बनाने का समर्थन भी बड़ा है। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने अपने कार्यकाल के दौरान इसे बढ़ावा दिया था और कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की थी जो आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले नेताओं के खिलाफ हो। आयोग के अनुसार, सत्ता में रहने वाली पार्टी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे प्रचार के लिए अपनी आधिकारिक स्थिति का उपयोग नहीं करें।

नेताओं के लिए नियम आदर्श आचार संहिता के मुताबिक, मंत्री और अन्य सरकारी अधिकारियों को किसी भी रूप में वित्तीय अनुदान की घोषणा नहीं करनी चाहिए। यह नियम उन्हें निष्पक्षता और न्याय की सुनिश्चिति के लिए बाध्य करता है। किसी भी परियोजना या योजना की घोषणा नहीं की जा सकती है जिसका प्रभाव सत्ता में पार्टी के पक्ष में मतदाताओं को प्रभावित करने वाला हो। इसके अलावा, मंत्री प्रचार उद्देश्यों के लिए आधिकारिक मशीनरी का उपयोग नहीं कर सकते।

भारत में आखिरी आम चुनाव 2019 में हुए थे। चुनाव प्रक्रिया में इन नियमों और संहिताओं का पालन चुनाव आयोग द्वारा निश्चित किया जाता है ताकि चुनाव निष्पक्ष, संवैधानिक और न्यायपूर्ण हो।

पूछे जाने वाले प्रश्न 

  1. आदर्श आचार संहिता क्या है और इसका महत्व क्या है? आदर्श आचार संहिता एक दस्तावेज है जो चुनाव प्रक्रिया के दौरान राजनीतिक दलों के व्यवहार को निर्धारित करता है। इसका उद्देश्य चुनावी प्रचार, मतदान और मतगणना को व्यवस्थित, स्वच्छ और शांतिपूर्ण रखना है, साथ ही सत्तारूढ़ दलों द्वारा राज्य मशीनरी और वित्त के किसी भी दुरुपयोग को रोकना है।
  2. आदर्श आचार संहिता किसने बनाई? आदर्श आचार संहिता की शुरुआत 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान हुई थी।
  3. चुनावों में निगरानी कैसे होती है? चुनावों के दौरान निगरानी के लिए चुनाव आयोग तैयार किए गए निर्देशों और आचार संहिताओं का पालन करता है। यह सुनिश्चित करने के लिए है कि चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष और न्यायपूर्ण हो।
  4. राजनीतिक दलों के लिए क्या नियम हैं? राजनीतिक दलों को आदर्श आचार संहिता के तहत निर्देशित किया जाता है, जिसमें उन्हें निष्पक्षता और न्याय की सुनिश्चिति के लिए बाध्य किया जाता है।
  5. चुनावों में रोजगार कैसे मिलता है? चुनावों में रोजगार के लिए आवेदन चुनाव आयोग के वेबसाइट पर उपलब्ध होते हैं। इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन या सरकारी विभागों में भी चुनावी कार्यों के लिए रोजगार की अवसर हो सकती है।
  6. MCC लागू होते ही क्या बदल जाएगा? MCC (मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट) लागू होते ही चुनाव प्रक्रिया में कई बदलाव आ सकते हैं। राजनीतिक दलों को आचार संहिता का पालन करने के लिए अपील की जाती है और मानक राजनीतिक व्यवहार का निर्धारण किया जाता है। MCC के लागू होने से सरकार के सामान्य कामकाज में भी महत्वपूर्ण बदलाव आ सकते हैं।
  7. आदर्श आचार संहिता का इतिहास क्या है? आदर्श आचार संहिता का इतिहास बहुत पुराना है। इसकी उत्पत्ति 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान हुई थी। यह संहिता 60 साल से अधिक समय से विकसित होती आ रही है और निर्वाचन प्रक्रिया में नियमों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  8. क्या MCC का उल्लंघन सजा जोड़ने का प्रावधान है? हां, चुनाव आयोग MCC के उल्लंघन की जांच करने और सजा सुनाने के लिए पूरी तरह से अधिकृत है।
  9. क्या सरकारी अधिकारियों को चुनाव प्रचार में भाग लेने की अनुमति है? नहीं, आदर्श आचार संहिता के अनुसार, सरकारी अधिकारियों को प्रचार के लिए अपनी आधिकारिक स्थिति का उपयोग नहीं करना चाहिए।

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