Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भारत-चीन सीमा मुद्दे पर तीखा हमला बोला। उन्होंने मोदी पर ‘अफीम खाकर सोए थे क्या?’ जैसे सवाल उठाए, जिससे विवाद संभावित है। इस बयान के पीछे के कारणों को लेकर सार्वजनिक रूप से बहस जारी है।
इस खबर की महत्वपूर्ण बातें
- कांग्रेस अध्यक्ष का पीएम मोदी पर हमला: “अफीम खाकर सोए थे क्या?”
- चुनावी झगड़ा:’अफीम खातें हो को लेकर’ मल्लिकार्जुन खड़गे ने किया हमला!
- गर्मागर्म: क्या मोदी ने भारत की सुरक्षा के लिए छोड़ा चीन का साथ?
लोकसभा चुनाव 2024 के मध्य, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम नरेंद्र मोदी पर भारत-चीन सीमा मुद्दे पर तीखा हमला बोला। उन्होंने पीएम मोदी के लिए चुनौती भरे बयान किए, कहते हुए कि क्या मोदी चीन के साथ मिलकर सो रहे थे जब वह अफीम लाकर भारतीय सीमा में घुसा था। खड़गे ने मोदी को ‘झूठों का सरदार’ कहा और पूछा कि अगर मोदी डरते नहीं हैं, तो क्यों उन्होंने भारत की जमीन का हिस्सा चीन को सौंपा।
खड़गे का बयान चर्चा का केंद्र बन गया है, जो प्रधानमंत्री के प्रति कांग्रेस की नजरिया और चुनावी रणनीति को दर्शाता है। उन्होंने भी मोदी की पर्सनल रैली में उनके द्वारा किए गए विदेश यात्राओं के प्रति आलोचना की, विशेष रूप से मणिपुर के दंगों के समय। इससे पूर्व भी, वे मोदी को वंशवाद के आरोप में घिरा हैं और कई बार मोदी के विदेश यात्राओं को लेकर सवाल उठाए हैं।
नरेंद्र मोदी हमेशा ही डॉ. मनमोहन सिंह जी के नेतृत्व वाली UPA सरकार की आलोचना करते हैं,
लेकिन..
उन 10 वर्षों में कांग्रेस ने मनरेगा, RTI, खाद्य सुरक्षा, भूमि अधिग्रहण कानून, शिक्षा का अधिकार सहित कई कदम उठाए हैं।
मनरेगा और खाद्य सुरक्षा के पीछे श्रीमती सोनिया गांधी जी का बहुत… pic.twitter.com/o9Py0ydAZU
— Congress (@INCIndia) April 5, 2024
पीएम मोदी के प्रति यह आरोप लगाना चुनावी दंगल में कांग्रेस के लिए राजनीतिक उचित हो सकता है, लेकिन यह भी उनकी विपक्षी राजनीतिक चुनौतियों को दिखाता है। खड़गे के बयान ने एक नई घेराबंदी का दरवाजा खोला है और चुनावी अभियान में एक नई दिशा दी है।
विवाद के बीच, यह सवाल उठता है कि क्या इस बारे में कांग्रेस का विपक्षी दृष्टिकोण समर्थन प्राप्त करेगा या फिर यह बस चुनावी रणनीति का हिस्सा है। प्रधानमंत्री के खिलाफ ऐसे आरोप लगाने से पहले, खड़गे के बयान को सामाजिक माध्यमों पर व्यापक रूप से विचार किया जा रहा है और राजनीतिक दलों ने इसे अपनी राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध यह आरोप कांग्रेस के पक्षधरों को और उनके नेताओं को नई ऊर्जा और उत्साह प्रदान कर सकता है। इस बयान के प्रकाश में, चुनावी युद्धभूमि पर कांग्रेस को नई ताकत और मोदी सरकार के खिलाफ और जोड़ सकती है।
पूछे जाने वाले प्रश्न
- क्या कांग्रेस अध्यक्ष के बयान का प्रमुख उद्देश्य क्या है? कांग्रेस अध्यक्ष का प्रमुख उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के काम को चुनावी रणनीति के माध्यम से घेरना और उन्हें जनसमर्थन से दूर करना है।
- क्या यह बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा है या वास्तविक समस्याओं का प्रतिसाद है? यह बयान संभावना है कि चुनावी रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य प्रधानमंत्री को उसकी कार्यशैली के माध्यम से घेरना है।
- क्या इस बयान के पीछे किसी विशेष घटना का समर्थन है? इस बयान के पीछे कोई विशेष घटना का समर्थन नहीं है, लेकिन यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के कुशासन के खिलाफ कांग्रेस की नाराजगी को दर्शाता है।
- क्या इस बयान के बाद कुछ कार्रवाई की जा रही है? इस बयान के बाद, कांग्रेस अध्यक्ष के बयान को सार्वजनिक रूप से विचार किया जा रहा है और यह राजनीतिक दलों के बीच बहस का केंद्र बना है।
- क्या इस बयान के प्रभाव से कुछ बदलाव आ सकता है? इस बयान के प्रभाव से चुनावी परिणामों पर कुछ प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन इसका निर्धारण चुनाव के दौरान ही होगा।
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