Chaitra Navratri 2024 में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें और उनकी कृपा का आनंद लें, जिससे आपके जीवन में समृद्धि और आनंद की बौछार हो। इस पूजा की विधि, मंत्र और महत्व को जानने के लिए पढ़ें।


इस खबर की महत्वपूर्ण बातें 

  1. Chaitra Navratri 2024: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें और धन, समृद्धि और आनंद की प्राप्ति करें!
  2. आध्यात्मिक ऊर्जा का आवाहन: Chaitra Navratri 2024 में मां ब्रह्मचारिणी की कृपा का अनुभव करें!
  3. Chaitra Navratri 2024 में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व!

चैत्र नवरात्रि, हिन्दू संस्कृति में गहरे आध्यात्मिक महत्व के साथ होती है, और इस समारोह के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व है। ब्रह्मचारिणी माता सौभाग्य और संयम प्रदान करने वाली हैं। नवरात्रि में मां देवी को प्रसन्न करने के लिए पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। बता दें, मां देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप है अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप है। ब्रह्म का मतलब तपस्या होता है, वहीं चारिणी का मतलब आचरण करने वाली।

इस तरह ब्रह्माचारिणी का अर्थ है- तप का आचरण करने वाली देवी। मां ब्रह्माचारिणी का रूप मन मोह लेने वाला है। उनके दाहिने हाथ में मंत्र जपने की माला और बाएं में कमंडल होता है। ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से सभी रूके हुए कार्य पूरे हो जाते हैं। इसके अलावा जीवन से हर तरह की परेशानियां भी खत्म होती हैं। मां देवी की पूजा करने के लिए कुछ विशेष मंत्रों का जाप भी किया जाता है। आइए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने की विधि व मंत्र को विस्तारपूर्वक जान लेते हैं।

मां ब्रह्मचारिणी, अड़ियल निश्चय और साधना का प्रतीक हैं, जो देवी दुर्गा के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनकी पूजा जीवन के हर क्षेत्र में वृद्धि और समृद्धि के लिए समर्थ होती है, और वहाँ उनकी कृपा सदैव अपने भक्तों पर बरसती है।

चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन, भक्तों को उठकर ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए तैयार होना चाहिए। फूल, चावल, कुंकुम और चंदन के अलावा दूध और मिठाईयाँ भी उन्हें चढ़ाने चाहिए।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव है, जो समाजिक नियमों को पार कर, आंतरिक परिवर्तन को प्रोत्साहित करता है। उनका सादा रूप, सफेद कपड़े पहने, दाहिने हाथ में माला और बाईं हाथ में कमंडल लेकर, ज्ञान और करुणा का प्रतीक है।

चैत्र नवरात्रि में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा भक्तों के लिए आत्मविश्वास, सद्भावना और आध्यात्मिक समृद्धि का माध्यम होती है। जैसे ही भक्त उनके प्रति भक्ति और आदर से जुड़ते हैं, उन्हें न केवल दिव्य आशीर्वाद मिलता है, बल्कि उन्हें जीवन के संघर्षों को साहस से पार करने की शक्ति भी प्राप्त होती है।

काशी में है मां ब्रह्मचारिणी का मंदिर 

मां ब्रह्मचारिणी का मंदिर काशी के सप्तसागर (कर्णघंटा) क्षेत्र में स्थित है. दुर्गा की पूजा के क्रम में ब्रह्मचारिणी देवी का दर्शन-पूजन बहुत महत्‍वपूर्ण माना गया है।

सुबह से ही लग जाती है भीड़-काशी के गंगा किनारे बालाजी घाट पर स्थित मां ब्रह्मचारिणी के मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है. श्रद्धालु लाइन में लगकर मां का दर्शन प्राप्त करते हैं. श्रद्धालु मां के इस रूप का दर्शन करने के लिए नारियल, चुनरी, माला-फूल आदि लेकर श्रद्धा-भक्ति के साथ अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं.

मां के दर्शन करने से मिलती है परब्रह्म की प्राप्ति-ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यन्त भव्य है. इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बायें हाथ में कमंडल रहता है. जो देवी के इस रूप की आराधना करता है उसे साक्षात परब्रह्म की प्राप्ति होती है. मां के दर्शन मात्र से श्रद्धालु को यश और कीर्ति प्राप्त होती है.

हर मनोकामना होती है पूरी-यहां ना सिर्फ काशी बल्कि अन्य जिलों से भी लोग दर्शन एवं पूजन के लिए आते हैं. नवरात्रि पर तो इस मंदिर में लाखों भक्त मां के दर्शन करने के लिए आते हैं. ऐसी मान्यता है कि मां के इस रूप का दर्शन करने वालों को संतान सुख मिलता है. साथ ही वो भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं.

काशी में है मां ब्रह्मचारिणी का मंदिर यहा पर क्लिक करे

Chaitra Navratri 2024 : चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी का पूजन, जानें पूजा विधि, मंत्र और महत्व
Chaitra Navratri 2024 : चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी का पूजन, जानें पूजा विधि, मंत्र और महत्व

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

  • मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर लें।
  • पूजा की सारी सामग्री तैयार कर लें और आसन बिछाएं।
  • मां ब्रह्मचारिणी को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि चढ़ाएं।
  • इसके बाद भोगस्वरूप पंचामृत चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं।
  • साथ ही माता को पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें। बाद में आरती गाकर पूजा करें।

मां ब्रह्माचारिणी मंत्र

  1. या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
  2. दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

मां ब्रह्मचारिणी का भोग

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के बाद उन्हें शक्कर का भोग लगाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग लगाने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।

मां ब्रह्मचारिणी आरती

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो।

ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।

जिसको जपे सकल संसारा।

जय गायत्री वेद की माता।

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए।

कोई भी दुख सहने न पाए।

उसकी विरति रहे ठिकाने।

जो तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर।

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।

आलस छोड़ करे गुणगाना।

मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।

पूर्ण करो सब मेरे काम।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी।

रखना लाज मेरी महतारी।

पूछे जाने वाले प्रश्न 

  1.  चैत्र नवरात्रि क्या है? चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म का एक पर्व है जो मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। यह चैत्र माह में आता है, जो कि मार्च या अप्रैल में होता है, और नौ दिन तक चलता है।
  2. चैत्र नवरात्रि का महत्व क्या है? चैत्र नवरात्रि के आरंभ से संबंधित है कि यह वसंत ऋतु की शुरुआत को चिह्नित करता है और हिंदुओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। माना जाता है कि इन नौ दिनों में मां दुर्गा अपने भक्तों को खुशी, समृद्धि और सफलता प्रदान करती हैं।
  3. Chaitra Navratri 2024 की तिथियाँ क्या हैं? Chaitra Navratri 2024 9 अप्रैल से शुरू होकर 18 अप्रैल को समाप्त होगी।
  4. चैत्र नवरात्रि में भोग क्या होता है? चैत्र नवरात्रि में भोग उन नौ भगवती दुर्गा को अर्पित किया जाता है जिनका उपासना किया जाता है। प्रत्येक दिन, भक्त देवी के लिए एक विशेष वस्त्र तैयार करते हैं और उसे भोग के रूप में प्रस्तुत करते हैं।
  5. चैत्र नवरात्रि में पूजने जाने वाली नौ देवियां कौन-कौन सी हैं? चैत्र नवरात्रि में पूजने जाने वाली नौ देवियां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री हैं।
  6. चैत्र नवरात्रि के दौरान कुछ सामान्य भोग क्या होते हैं? चैत्र नवरात्रि के दौरान कुछ सामान्य भोग में हलवा, क्षीर, लड्डू, फल, नारियल, दूध, और अन्य दूध से बने उत्पाद शामिल होते हैं। प्रत्येक देवी के लिए विशेष भोग होता है।
  7. मां ब्रह्मचारिणी का जन्म कैसे हुआ?मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय के घर जन्म लिया था। नारदजी की सलाह पर उन्होंने कठोर तप किया, ताकि वे भगवान शिव को पति स्वरूप में प्राप्त कर सकें। कठोर तप के कारण उनका ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी नाम पड़ा। भगवान शिव की आराधना के दौरान उन्होंने 1000 वर्ष तक केवल फल-फूल खाए तथा 100 वर्ष तक शाक खाकर जीवित रहीं।
  8. ब्रह्मचारिणी माता को क्या पसंद है? मां ब्रह्मचारिणी का भोग (Devi Brahmacharini Bhog): मां के इस स्वरुप को मिश्री, दूध और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू । देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥ माँ का वात्सल्य (Devi Brahmacharini Blessing): माता की कृपा से लंबी आयु , आरोग्य ,अभय , आत्मविश्वास व सौभाग्य का वरदान देतीं हैं।
  9. मां ब्रह्मचारिणी किसका प्रतीक है?माँ दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्तफल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है।
  10. चैत्र नवरात्रि कैसे मनाई जाती है? चैत्र नवरात्रि के दौरान, भक्त उपवास रखते हैं, विशेष पूजाएँ करते हैं, और मां दुर्गा के समर्पित मंदिरों का दौरा करते हैं। वे अपने घरों को सजाते हैं, समुदायिक सभाओं का आयोजन करते हैं, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।
  11. चैत्र नवरात्रि में भोग अर्पित करने के क्या लाभ होते हैं? चैत्र नवरात्रि में भोग अर्पित करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो कि समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और जीवन में सफलता लाता है। यह भी देवी के प्रति कृतज्ञता का एक तरीका माना जाता है।
  12. क्या गैर-हिन्दू लोग चैत्र नवरात्रि के उत्सव में शामिल हो सकते हैं? चैत्र नवरात्रि एक हिन्दू त्योहार है, लेकिन सभी धर्मों और पृष्ठभूमियों के लोगों का स्वागत इसके उत्सव में किया जाता है। यह खुशी, समरसता, और आध्यात्मिक विकास का समय है, जो उन सभी के लिए खुला है जो इस उत्सव में शामिल होना चाहते हैं।
  13. चैत्र नवरात्रि को घर पर कैसे मनाया जा सकता है? घर पर चैत्र नवरात्रि मनाने के लिए, लोग प्रतिदिन पूजा कर सकते हैं, भोग अर्पित कर सकते हैं, दुर्गा मंत्रों का जाप कर सकते हैं, और यदि संभव हो तो उपवास कर सकते हैं। इन नौ दिनों के दौरान मां दुर्गा की विजयोत्सव की कहानियों को पढ़ना या सुनना भी सामान्य होता है।

इसे भी पढ़ें –Ujjain Mahakal Mandir में छिपा हुआ 550 साल पुराना रहस्य जानिए उसकी असली कहानी अब!

हिंदी में धार्मिक त्योहार और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले  महाकालटाइम्स.कॉम पर पढ़ें.

अगर आपको हमारी स्टोरी से जुड़े सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के नीचे  दिये गए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर करना न भूलें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए महाकालटाइम्स  से जुड़े रहें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here