सावन का महीना शिव भक्तों के लिए विशेष होता है, और Kanwar Yatra एक महत्वपूर्ण परंपरा है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान परशुराम ने कांवर यात्रा की शुरुआत की थी, जिसमें भक्त गंगा जल लाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।
इस खबर की महत्वपूर्ण बातें
- सावन में कांवर यात्रा की शुरुआत किसने की?
- कांवर यात्रा की रहस्यमयी शुरुआत: परशुराम का रहस्यमयी संबंध!
- क्या भगवान परशुराम ने कांवर यात्रा की परंपरा शुरू की थी?
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सावन पांचवां महीना है, और इसी दौरान Kanwar Yatra की परंपरा प्रारंभ होती है। कांवर यात्रा शिव भक्तों के लिए एक तीर्थ यात्रा की तरह होती है। हर साल लाखों कांवरिये सावन शिवरात्रि के अवसर पर हरिद्वार से पैदल पवित्र गंगा जल लाकर अपने क्षेत्र के शिवलिंगों में जलाभिषेक करते हैं।
कांवर यात्रा की परंपरा की शुरुआत को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं और कहानियां प्रचलित हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान परशुराम को कांवर यात्रा की परंपरा की शुरुआत करने वाला माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान परशुराम ने गढ़मुक्तेश्वर धाम से कांवर में गंगा जल लाकर उत्तर प्रदेश के बागपत स्थित ‘पुरा महादेव’ मंदिर में शिवलिंग का अभिषेक किया था। यही कारण है कि उन्हें प्रथम कांवरिया भी कहा जाता है। वर्तमान समय में गढ़मुक्तेश्वर को ब्रजघाट के नाम से भी जाना जाता है और यहां हर साल सावन के महीने में लाखों कांवरिये शिवलिंग का अभिषेक करने आते हैं।
गढ़मुक्तेश्वर धाम से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है। शिवपुराण में वर्णित कथा के अनुसार, महर्षि दुर्वासा मंदराचल पर्वत पर तपस्या कर रहे थे, तभी भगवान शिव का दल वहां पहुंच गया और महर्षि का उपहास करने लगा। इससे क्रोधित होकर महर्षि दुर्वासा ने शिवगणों को पिशाच बनने का श्राप दे दिया। बाद में भगवान शिव के दर्शन से शिवगणों को पिशाच लोक से मुक्ति मिली। इसलिए इस मंदिर को ‘गढ़मुक्तेश्वर’ यानी लोगों को मुक्ति देने वाले भगवान के नाम से जाना जाता है।
Kanwar Yatra की यह परंपरा आज भी जीवित है और हर साल लाखों भक्त इसमें भाग लेते हैं। इस यात्रा में भक्त पवित्र गंगा जल लाकर अपने क्षेत्र के शिवलिंगों में अभिषेक करते हैं। यह यात्रा कठिन होती है, लेकिन शिव भक्तों की आस्था और समर्पण इसे संभव बनाते हैं।
पूछे जाने वाले प्रश्न
- कांवर यात्रा क्या है? कांवर यात्रा एक धार्मिक यात्रा है जिसमें शिव भक्त हरिद्वार से गंगा जल लाकर अपने क्षेत्र के शिवलिंगों में अभिषेक करते हैं।
- कांवर यात्रा की शुरुआत किसने की? धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम ने कांवर यात्रा की शुरुआत की थी।
- गढ़मुक्तेश्वर धाम का महत्व क्या है? गढ़मुक्तेश्वर धाम वह स्थान है जहां से भगवान परशुराम ने कांवर में गंगा जल लाकर ‘पुरा महादेव’ मंदिर में अभिषेक किया था।
- कांवर यात्रा किस महीने में होती है? कांवर यात्रा सावन के महीने में होती है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार पांचवां महीना है।
- कांवर यात्रा का धार्मिक महत्व क्या है? कांवर यात्रा का धार्मिक महत्व शिव भक्तों के लिए अत्यधिक है क्योंकि इसमें वे भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण प्रदर्शित करते हैं।
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