Ujjain Mahakal Mandir, 12 ज्योर्तिलिंगों(Jyotirlinga) में से एक है, जिसे कालों के काल महाकाल कहा जाता है। उज्जैन को पृथ्वी का केंद्र भी माना जाता है। यहां हर 12 साल में कुंभ मेले (Kumbh Mela) का आयोजन होता है, जिसे सिंहस्थ के नाम से जाना जाता है।


इस खबर की महत्वपूर्ण बातें 

  1. महाकालेश्वर मंदिर: उज्जैन में भोलेनाथ के महाकाल कहलाने का रहस्य
  2. उज्जैन: पृथ्वी का केंद्र और महाकालेश्वर मंदिर का अद्भुत रहस्य
  3. उज्जैन: महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास और वैज्ञानिक महत्व, जानिए चौंकाने वाले तथ्य

Mahakaleshwar Jyotirlinga, जो कि मध्य प्रदेश के प्राचीन शहर उज्जैन में स्थित है, धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 Jyotirlinga में से एक है और इन्हें महाकाल के नाम से जाना जाता है। उज्जैन शहर को पृथ्वी का केंद्र भी माना जाता है, और यह स्थान खगोल शास्त्रियों के अनुसार धरती और आकाश के बीच का नाभि स्थल है। इस प्रकार, महाकालेश्वर मंदिर का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि खगोल शास्त्र और विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है।

उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां भगवान शिव ने दूषण नामक राक्षस का वध कर अपने भक्तों की रक्षा की थी। इस कारण से यहां भगवान शिव को महाकाल के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग होने के कारण तंत्र साधना के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे और उनके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

उज्जैन का महत्व सिर्फ महाकाल मंदिर तक ही सीमित नहीं है। यह शहर हर 12 साल में होने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले के लिए भी प्रसिद्ध है। सिंहस्थ का आयोजन तब होता है जब सिंह राशि में बृहस्पति और मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होता है। इस मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होते हैं। इसके अलावा, उज्जैन शहर को विक्रम संवत कैलेंडर के निर्माण के लिए भी जाना जाता है। यह कैलेंडर राजा विक्रमादित्य द्वारा स्थापित किया गया था और आज भी उत्तरी, पश्चिमी और मध्य भारत में प्रमुख हिंदू पंचांग के रूप में प्रचलित है।

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उज्जैन के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के अलावा, यह शहर खगोल शास्त्र और ज्योतिष के लिए भी महत्वपूर्ण है। यहां के ऋषि-मुनियों ने इसे काल-गणना और पंचांग निर्माण के लिए सर्वोत्तम स्थान माना है। उज्जैन शहर 23.9 डिग्री उत्तर अक्षांश और 74.75 अंश पूर्व रेखांश पर स्थित है। यहां कर्क रेखा और भूमध्य रेखा एक-दूसरे को काटती हैं, जिससे यह स्थान खगोल शास्त्र के अध्ययन के लिए आदर्श बनता है।

उज्जैन को पहले अवन्तिका, उज्जयनी और कनकश्रन्गा के नाम से भी जाना जाता था। यह शहर संस्कृत के महान कवि कालिदास की नगरी के रूप में भी प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर मंदिर के अलावा यहां गणेश मंदिर, हरसिद्धि मंदिर, गोपाल मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, और काल भैरव मंदिर भी प्रसिद्ध हैं। यह मध्य प्रदेश का पांचवां सबसे बड़ा शहर है और अपनी धार्मिक मान्यातों के चलते दुनियाभर में पर्यटन का प्रमुख स्थल है।

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

पूछे जाने वाले प्रश्न 

  1. महाकालेश्वर मंदिर का धार्मिक महत्व क्या है? महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक है और यहां भगवान शिव को महाकाल के नाम से जाना जाता है।
  2. उज्जैन को पृथ्वी का केंद्र क्यों माना जाता है? खगोल शास्त्रियों के अनुसार, उज्जैन धरती और आकाश के बीच का नाभि स्थल है और यहां कर्क रेखा और भूमध्य रेखा एक-दूसरे को काटती हैं।
  3. सिंहस्थ कुंभ क्या है? सिंहस्थ कुंभ उज्जैन में हर 12 साल में आयोजित होने वाला कुंभ मेला है, जब सिंह राशि में बृहस्पति और मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होता है।
  4. विक्रम संवत कैलेंडर का महत्व क्या है? विक्रम संवत कैलेंडर राजा विक्रमादित्य द्वारा स्थापित किया गया था और यह उत्तरी, पश्चिमी और मध्य भारत में प्रमुख हिंदू पंचांग के रूप में प्रचलित है।
  5. उज्जैन में अन्य प्रसिद्ध मंदिर कौन-कौन से हैं? महाकालेश्वर मंदिर के अलावा उज्जैन में गणेश मंदिर, हरसिद्धि मंदिर, गोपाल मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, और काल भैरव मंदिर भी प्रसिद्ध हैं।

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