WHAT HAPPENED TODAY IN HISTORY MAY 13 : भारत के इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत आज स्वतंत्र भारत की संसद का हुआ था सबसे पहला सत्र,जानिए 13 मई का इतिहास
WHAT HAPPENED TODAY IN HISTORY MAY 13,भारत में संसद सत्र(Indian Parliament) का आरंभ हमेशा ही एक महत्वपूर्ण समय होता है। इस साल, 13 मई को यह ऐतिहासिक दिन(Historical Significance) आयोजित हुआ, जब पहली बार स्वतंत्रता के बाद देश की पहली संसद सत्र हुई थी। इसे भारतीय लोकतंत्र का आगाज माना जाता है। इस अवसर पर, हम इस ऐतिहासिक दिन को याद करते हैं और इसे ध्यान में रखते हैं कि हमारे देश की राजनीतिक विरासत कैसे बनी।
इस खबर की महत्वपूर्ण बातें
भारत में संसद सत्र की शुरुआत: स्वतंत्रता के पहले सत्र की महत्वपूर्ण यादें
13 मई: इतिहास के पन्नों में लिपटी ये घटनाएं, जो देश को याद दिला रही हैं अपनी विरासत
संसद सत्र का आरंभ: क्या है पहले सत्र की राजनीतिक चुनौतियाँ और बदलते मंच की चुनौतियाँ?
भारत में संसद सत्र की शुरुआत: स्वतंत्रता के पहले सत्र की महत्वपूर्ण यादें
भारत में संसद सत्र का आरंभ हमेशा ही एक महत्वपूर्ण समय होता है। इस साल, 13 मई को यह ऐतिहासिक दिन आयोजित हुआ, जब पहली बार स्वतंत्रता के बाद देश की पहली संसद सत्र हुई थी। इसे भारतीय लोकतंत्र का आगाज माना जाता है। इस अवसर पर, हम इस ऐतिहासिक दिन को याद करते हैं और इसे ध्यान में रखते हैं कि हमारे देश की राजनीतिक विरासत कैसे बनी।
13 मई का दिन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जब स्वतंत्रता के बाद देश की पहली संसद सत्र हुई थी। यह दिन न केवल एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण चिन्ह है कि भारतीय लोकतंत्र की मूल नींव कैसे रखी गई थी। इसे एक नया भारत का आरंभ माना जाता है, जहां नागरिकों की आवाज़ को सुना और समझा जाता है।
स्वतंत्र भारत की पहली संसद सत्र का आयोजन 13 मई, 1952 को किया गया था। इस दिन पहली बार राज्यसभा और लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई थी। इस दिन कई महत्वपूर्ण नेताओं ने अपने पद की शपथ ली और संसदीय कार्यवाही शुरू की गई। पहले दिन शपथ लेने वालों में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु भी शामिल थे। इस दिन स्पीकर गणेश वासुदेव मावलंकर के नेतृत्व में संसद की पहली कार्यवाही हुई थी।
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2010 -भारत-रूस के बीच रक्षा, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, हाइड्रोकार्बन, व्यापार एवं निवेश आदि में 22 समझोते हुए।
2012 – इजरायल की जेलों में बंद 1500 फिलीस्तीनी कैदी भूख हड़ताल समाप्त करने पर सहमत हुए।
2013 – ब्राजील समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाला 15वां देश बना।
2014 : तुर्की की एक खदान में विस्फोट होने और आग लगने से 238 खदान कर्मियों की मौत।
2016 : भारत के प्रसिद्ध संत और संत निरंकारी मिशन के आध्यात्मिक गुरु बाबा हरदेव सिंह का निधन।
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इस दिन क्यों महत्वपूर्ण है?यह दिन स्वतंत्रता के बाद भारतीय संसद की पहली सत्र का आयोजन करने के लिए महत्वपूर्ण है। इसे भारतीय लोकतंत्र के आरंभ का प्रतीक माना जाता है।
कौन-कौन से नेता इस सत्र में शामिल थे?इस सत्र में कई महत्वपूर्ण नेताओं ने अपने पद की शपथ ली, जैसे कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु।
क्या इस सत्र में कोई महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया था?इस सत्र में कोई विशेष निर्णय नहीं लिया गया था, लेकिन यह सत्र भारतीय लोकतंत्र के शुरूआती चरण को दर्शाता है।
स्वतंत्रता के बाद कैसे बदला संसद का संचालन?स्वतंत्रता के बाद, भारतीय संसद ने स्वतंत्रता के बाद के नए समय के अनुकूल रूप में अपने कार्यक्रम को बदला। यह देश के लिए नए कानूनों और नीतियों को बनाने का कार्य करती रही है।
क्या संसद सत्र के महत्व को समझना आवश्यक है?हां, संसद सत्र का महत्व बहुत है क्योंकि यह दिखाता है कि लोकतंत्र कैसे काम करता है और देश के निर्णय कैसे लिए जाते हैं। यह सत्र नागरिकों के मत का आदान-प्रदान करने का माध्यम भी है।
संसद सत्र क्या होता है?संसद सत्र एक ऐसा कार्यक्रम होता है जिसमें संसद के सदस्य विधेयकों को चर्चा करते हैं, प्रस्ताव पेश करते हैं और निर्णय लेते हैं। इसमें देश की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर विचार किया जाता है।
स्वतंत्रता के बाद कब हुआ था पहला संसद सत्र?स्वतंत्रता के बाद, भारत का पहला संसद सत्र 13 मई, 1952 को हुआ था।
संसद सत्र की अवधि क्या होती है?संसद सत्र की अवधि निर्दिष्ट नहीं होती है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में यह अवधि अधिकतर 3 से 6 महीने तक चलती है।
कौन संसद की कार्यकारिणी है?भारत में, संसद की कार्यकारिणी दो भागों में बांटी गई है – लोकसभा और राज्यसभा। लोकसभा लोकप्रतिनिधित्व करती है, जबकि राज्यसभा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करती है।
संसद सत्र के दौरान कौन-कौन सक्रिय होते हैं?संसद सत्र के दौरान सदस्य, उपसभापति, स्पीकर और विभिन्न समितियों के सदस्य सक्रिय रहते हैं। उन्हें निर्दिष्ट कार्यों का निर्देशन और चर्चा करना होता है।
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