WHAT HAPPENED TODAY IN HISTORY MAY 20, NASA के Hubble Space Telescope ने पहली बार अंतरिक्ष की तस्वीरें(first space images) धरती पर भेजी, जो खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण में एक मील का पत्थर साबित हुआ। इस टेलीस्कोप को अप्रैल 1990 में लॉन्च किया गया था।
इस खबर की महत्वपूर्ण बातें
- 20 मई का इतिहास: हबल स्पेस टेलीस्कोप से पहली बार अंतरिक्ष की तस्वीरें
- हबल स्पेस टेलीस्कोप: 20 मई 1990 को आईं पहली अंतरिक्ष की तस्वीरें, बदल गई दुनिया!
- विवादित सच: क्या हबल स्पेस टेलीस्कोप ने अंतरिक्ष की पहली तस्वीरें सचमुच लीं?
20 मई 1990 को अंतरिक्ष विज्ञान में एक नया अध्याय लिखा गया जब NASA के हबल स्पेस टेलीस्कोप ने पहली बार अंतरिक्ष की तस्वीरें धरती पर भेजीं। यह ऐतिहासिक उपलब्धि नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा अप्रैल 1990 में लॉन्च किए गए हबल स्पेस टेलीस्कोप द्वारा संभव हुई। यह टेलीस्कोप डिस्कवरी स्पेस शटल के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया था। हबल स्पेस टेलीस्कोप का नाम प्रसिद्ध अमेरिकी खगोलविद एडविन पोंवेल हबल के नाम पर रखा गया।
हबल स्पेस टेलीस्कोप की लंबाई 13.2 मीटर और वजन लगभग 11 हजार किलोग्राम है। यह नासा का एकमात्र ऐसा टेलिस्कोप है, जिसे अंतरिक्ष में ही सर्विसिंग के लिए डिजाइन किया गया है। हबल की तस्वीरें और डाटा ने खगोल विज्ञान में क्रांति ला दी, जिससे ब्रह्मांड के कई रहस्यों को उजागर किया जा सका।
आज, 20 मई, का इतिहास खास है और दो नाविकों से जुड़ा है। यूरोप के दो नाविक, जो भारत की खोज में निकले थे। एक ने अमेरिकी द्वीप खोजा, जबकि दूसरा आज ही के दिन भारत पहुंचा था। ये हैं पुर्तगाली नाविक वास्को-डि-गामा और इटली के नाविक क्रिस्टोफर कोलंबस।1498 में, वास्को-डि-गामा आज के दिन कालीकट के तट पर पहुंचे। वहीं, 1506 में, क्रिस्टोफर कोलंबस का निधन हुआ। पहले कोलंबस की बात करते हैं।
1492 में, कोलंबस भारत की खोज में निकले थे। दो महीने से ज्यादा की यात्रा के बाद, उन्होंने जिस जगह को भारत समझा, वह अमेरिकी द्वीप निकला। वह बहामास के सैन सल्वाडोर द्वीप पर पहुंचे थे।अब बात करते हैं वास्को-डि-गामा की। कोलंबस की पहली यात्रा के करीब पांच साल बाद, जुलाई 1497 में, वास्को-डि-गामा ने भारत की खोज शुरू की। यात्रा की शुरुआत पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन से हुई।
वास्को-डि-गामा का पहला ठिकाना दक्षिण अफ्रीका था। यहां कुछ भारतीयों से पता चला कि वे भारत नहीं, दक्षिण अफ्रीका पहुंचे थे। आगे बढ़ने पर, उनके कई साथी बीमार पड़े। मोजाम्बिक में उन्होंने यात्रा रोकी। वहां के सुल्तान को उन्होंने यूरोपीय उपहार दिए। इससे खुश सुल्तान ने उन्हें भारत का रास्ता खोजने में मदद की।करीब 10 महीने की यात्रा के बाद, 20 मई 1498 को वास्को-डि-गामा कालीकट पहुंचे। तीन महीने वहां बिताने के बाद, वे पुर्तगाल लौटे। यात्रा शुरू करते वक्त उनके साथ 199 नाविक थे, लेकिन वापसी पर सिर्फ 55 नाविक बचे थे।
आज के दिन, धरना प्रदर्शन में आंसू गैस का पहली बार इस्तेमाल हुआ था। 20 मई को ब्रिटेन की पुलिस को प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आंसू गैस के इस्तेमाल की अनुमति मिली थी।
ब्रिटेन के बकिंघमशायर के हाई वायकॉम में, मेयर को सार्वजनिक तौर पर तौलने की प्रथा का निर्वाह भी इसी दिन हुआ। यह प्रथा मध्यकालीन है, जिससे मेयर के वजन में वृद्धि की जांच होती है। यदि वजन बढ़े, तो इसे करदाताओं के पैसे में हेरफेर माना जाता है।
2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान घोटाले में, 20 मई 2011 को CBI ने पहली चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें भारतीय ओलिंपिक संघ के तत्कालीन प्रमुख सुरेश कलमाड़ी समेत 9 लोग आरोपी बनाए गए थे। मार्च में CBI ने कलमाड़ी से पूछताछ की थी। 25 अप्रैल को CBI ने कलमाड़ी को गिरफ्तार किया। करीब 9 महीने जेल में रहने के बाद, 19 जनवरी 2012 को कलमाड़ी को जमानत मिली।
20 मई को जन्मे व्यक्ति | 20 मई को हुए निधन |
---|---|
1977 – अंजुम चोपड़ा – भारत की राष्ट्रीय महिला क्रिकेट टीम की सदस्य और पूर्व कप्तान। | 1766 – मल्हारराव होल्कर – इंदौर के होल्कर वंश के प्रवर्तक। |
1941 – गोह चोक टोंग – सिंगापुर के दूसरे प्रधानमंत्री। | 1994 – कासू ब्रह्मानंद रेड्डी – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री। |
1926 – गोदे मुरहारी – छठवीं लोकसभा में लोकसभा उपाध्यक्ष। | 1932 – विपिन चन्द्र पाल – भारत में ‘क्रान्तिकारी विचारों के जनक’। |
1918 – पीरू सिंह – भारतीय सेना के वीर अमर शहीदों में एक। | 1957 – टी. प्रकाशम – स्वतंत्रता सेनानी और आंध्रा राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री। |
1900 – सुमित्रानंदन पंत – प्रसिद्ध हिन्दी कवि। | 1972 – गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’ – ब्रजभाषा के प्रसिद्ध कवि। |
2012 – लीला दुबे – प्रसिद्ध मानव विज्ञानी और नारीवादी विद्वान। | |
1929 – राजकुमार शुक्ल – स्वतंत्रता सेनानी और चंपारण सत्याग्रह के प्रमुख नेता। |
देश दुनिया के इतिहास में 20 मई की तारीख पर दर्ज अन्य प्रमुख घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है
1293 : जापान के कामाकुरा में आए भूकंप में 30 हजार लोगों की मौत।
1378 : बहमनी सुलतान दाऊद शाह की हत्या।
1421 : दिल्ली के पहले सैयद शासक खिज्र खान की मौत।
1609: विलियम शेक्सपियर की कविताओं के पहले संग्रह का लंदन में प्रकाशन।
1784: पीस ऑफ पेरिस संधि के तहत नीदरलैंड ने भारत और इंडोनेशिया में अपने कब्जे वाली कुछ जगहें ब्रिटेन को दे दीं।
1873: सान फ्रैंसिस्कों के कारोबारी लेवी स्ट्रॉस और दर्जी जेकब डेविस को जीन्स का पेटेंट मिला।
1891 : थॉमस एडिसन के प्रोटोटाइप काइनेटोस्कोप को नेशनल फेडरेशन के सामने पहली बार सार्वजनिक रूप से पेश किया गया।
1902 : क्यूबा को अमेरिका से आजादी मिली।
1927 : सऊदी अरब को ब्रिटेन से आजादी मिली।
1932 :अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकने वाले बिपिन चंद्र पाल का निधन।
1965 – कमांडर एम एस कोहली के नेतृत्व में पहला भारतीय दल एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने में कामयाब रहा।
1958: में ब्रिटेन के हाई वायकॉम शहर के नए महापौर लेस्ली ब्रेन के वज़न की ये देखने के लिए सार्वजनिक रूप से जांच की गई कि करदाताओं के पैसे से कहीं उनपर चर्बी तो नहीं चढ़ रही है.
1965 : कमांडर एम एस कोहली के नेतृत्व में पहला भारतीय दल एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने में कामयाब रहा।
1965 : ब्रिटिश पुलिस को प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आंसू गैस के गोले छोड़ने की अनुमति मिली।
1965 में मिस्र में पाकिस्तानी बोइंग विमान 720 – B के क्रैश हो जाने से 121 लोगों की मौत हो गई.
1972 : इंदिरा गांधी ने दूसरे हावड़ा ब्रिज की आधारशिला रखी।
1983: को दक्षिण अफ्रीका की राजधानी प्रीटोरिया में हुए कार बम धमाके में कम से कम 16 लोग मारे गए थे जबकि 130 से ज़्यादा ज़ख्मी हो गए थे.
1990 : हबल स्पेस टेलीस्कोप ने अंतरिक्ष से पहली तस्वीरों भेजी।
1995 : रूस ने मानव रहित अंतरिक्ष यान का सफल प्रक्षेपण किया।
1998 : मल्टीबैरल रॉकेट प्रणाली ‘पिनाका’ का परीक्षण।
2001: अफगानिस्तान में तालिबान ने हिंदुओं की अलग पहचान के लिए ड्रेस कोड बनाया.
2002: पूर्वी तिमोर आजाद घोषित हुआ.
2003 : पाकिस्तान ने उग्रवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन पर प्रतिबंध लगाया।
2011: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मध्य प्रदेश के बीना में बनी ऑइल रिफाइनरी देश को समर्पित की.
2011: झारखंड की पर्वतारोही प्रेमलता अग्रवाल ने दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली सबसे उम्रदराज़ भारतीय महिला होने का गौरव हासिल किया।
2011: कॉमनवेल्थ घोटाले में सीबीआई ने पहली चार्जशीट दायर की
2012: इटली में आए भूकंप में 27 लोगों की मौत हो गई.
2021 : अफगानिस्तान में हजारा समुदाय के लोगों को निशाना बनाकर हमला, 13 लोगों की मौत।
2022 : असम में बाढ़ की स्थिति गंभीर, सात लाख से अधिक प्रभावित।
2022 : भारत के प्रथम पूर्ण खगोल मिशन एस्ट्रोसैट ने ब्लैकहोल के 500वीं बार निर्माण होने का पता लगाया ।
पूछे जाने वाले प्रश्न
- हबल स्पेस टेलीस्कोप कब लॉन्च हुआ था?हबल स्पेस टेलीस्कोप अप्रैल 1990 में लॉन्च हुआ था।
- हबल स्पेस टेलीस्कोप ने पहली तस्वीरें कब भेजीं?हबल स्पेस टेलीस्कोप ने 20 मई 1990 को पहली बार अंतरिक्ष की तस्वीरें भेजीं।
- हबल स्पेस टेलीस्कोप का वजन कितना है?हबल स्पेस टेलीस्कोप का वजन लगभग 11 हजार किलोग्राम है।
- हबल स्पेस टेलीस्कोप का नाम किसके नाम पर रखा गया है?हबल स्पेस टेलीस्कोप का नाम अमेरिकी खगोलविद एडविन पोंवेल हबल के नाम पर रखा गया है।
- हबल स्पेस टेलीस्कोप की लंबाई कितनी है?हबल स्पेस टेलीस्कोप की लंबाई 13.2 मीटर है।
- हबल स्पेस टेलिस्कोप क्या है? हबल स्पेस टेलिस्कोप एक अंतरिक्ष टेलिस्कोप है जिसे नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। इसे अप्रैल 1990 में डिस्कवरी स्पेस शटल के माध्यम से लॉन्च किया गया था।
- हबल टेलिस्कोप का नाम किसके नाम पर रखा गया है?हबल टेलिस्कोप का नाम अमेरिकी खगोल विज्ञानी एडविन पोंवेल हबल के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने ब्रह्मांड के विस्तार की खोज की थी।
- हबल स्पेस टेलिस्कोप की लंबाई और वजन क्या है?हबल स्पेस टेलिस्कोप की लंबाई 13.2 मीटर है और इसका वजन 11,000 किलोग्राम है।
- हबल टेलिस्कोप की पहली तस्वीरें कब और कैसे भेजी गईं?हबल टेलिस्कोप ने अपनी पहली तस्वीरें 20 मई 1990 को अंतरिक्ष से धरती पर भेजी थीं।
- हबल स्पेस टेलिस्कोप की विशेषता क्या है?हबल स्पेस टेलिस्कोप की प्रमुख विशेषता यह है कि इसे अंतरिक्ष में ही सर्विसिंग के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे इसे समय-समय पर अपडेट और रिपेयर किया जा सकता है।
- हबल टेलिस्कोप ने किस प्रकार की खोजें की हैं?हबल टेलिस्कोप ने कई महत्वपूर्ण खोजें की हैं, जैसे कि आकाशगंगाओं, निहारिकाओं, और अन्य खगोलीय पिंडों की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें। इसने ब्रह्मांड के विस्तार और विभिन्न खगोलीय घटनाओं का अध्ययन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- हबल स्पेस टेलिस्कोप को किस मिशन के तहत लॉन्च किया गया था? हबल स्पेस टेलिस्कोप को डिस्कवरी स्पेस शटल मिशन STS-31 के तहत लॉन्च किया गया था।
- हबल टेलिस्कोप की तस्वीरों का वैज्ञानिक महत्व क्या है?हबल टेलिस्कोप की तस्वीरों ने वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड के विकास, आकाशगंगाओं की संरचना और अन्य खगोलीय पिंडों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है। इन तस्वीरों ने खगोल विज्ञान में कई नई अवधारणाओं को जन्म दिया है।
- हबल टेलिस्कोप की पहली तस्वीरें किस प्रकार की थीं? हबल टेलिस्कोप की पहली तस्वीरें विभिन्न आकाशगंगाओं, तारों और निहारिकाओं की थीं, जो पहले कभी इस तरह की स्पष्टता और विस्तार के साथ नहीं देखी गई थीं।
- हबल स्पेस टेलिस्कोप का भविष्य क्या है?हबल स्पेस टेलिस्कोप का भविष्य उज्ज्वल है क्योंकि इसे नियमित रूप से अपडेट और रिपेयर किया जाता है। इसके अलावा, भविष्य में इसे और भी उन्नत टेलिस्कोपों के साथ संयोजित करके उपयोग किया जा सकता है, जिससे खगोल विज्ञान के क्षेत्र में और भी महत्वपूर्ण खोजें की जा सकेंगी।