विमी (Vimi) की दर्दनाक मौत और उनके बेटे स्वामी रजनीश की अध्यात्म की राह पर चलने की कहानी, जिसने उन्हें दुनियाभर में प्रसिद्ध किया।
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इस खबर की महत्वपूर्ण बातें
- स्वामी रजनीश: सिनेमा की चकाचौंध से अध्यात्म की दुनिया तक का सफर
- ओशो के शिष्य से विवाद तक: स्वामी रजनीश की अद्भुत यात्रा
- विमी का बेटा या ओशो का आलोचक? स्वामी रजनीश की अज्ञात कहानी
Vimi का फिल्मी सफर और शानदार शुरुआत
विमी, भारतीय सिनेमा की एक ऐसी अदाकारा थीं, जिन्होंने अपनी पहली ही फिल्म से सफलता के शिखर को छू लिया था। उनकी खूबसूरती और अभिनय कौशल ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। 1967 में आई फिल्म “हमराज़” ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया। इस फिल्म में उन्होंने सुनील दत्त और राजकुमार के साथ अभिनय किया, जो आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है। लेकिन, यह चमक-धमक सिर्फ कुछ समय की थी।
शादी और पारिवारिक जीवन
Vimi का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था, लेकिन उनकी शादी कलकत्ता के एक बड़े बिजनेसमैन परिवार में हुई थी। विमी ने शिवराज अग्रवाल से प्रेम विवाह किया था, जो एक प्रतिष्ठित बिजनेस परिवार से थे। इस शादी से उन्हें दो संतानें हुईं – एक बेटा और एक बेटी। बेटा रजनीश अग्रवाल का जीवन भी उतार-चढ़ाव से भरा रहा, जिसे हम आगे विस्तार से जानेंगे।
फिल्म इंडस्ट्री और संघर्ष
फिल्म “हमराज़” की सफलता के बाद विमी को और भी बड़े प्रोजेक्ट्स मिले, लेकिन उनके पति शिवराज का इस ग्लैमर की दुनिया से दूरी और विमी के इस क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहने के कारण उनके दांपत्य जीवन में दरारें आने लगीं। इन समस्याओं ने विमी के करियर पर भी असर डाला। फिल्मी दुनिया की चकाचौंध में फंसी विमी धीरे-धीरे गुमनामी की ओर बढ़ने लगीं।
Vimi की दुखद मौत
विमी की जिंदगी में आए तमाम झंझावातों ने उन्हें तोड़कर रख दिया था। घरेलू कलह और आर्थिक तंगी ने उनकी मानसिक स्थिति को और भी बिगाड़ दिया। 22 अगस्त 1977 को, विमी की मौत एक सरकारी अस्पताल के जनरल वार्ड में हुई थी। उनकी मौत के बाद उनकी लाश को ठेले पर लादकर शमशान घाट ले जाया गया था। यह दृश्य भारतीय सिनेमा की चमक-धमक वाली दुनिया के पीछे की एक कड़वी सच्चाई को उजागर करता है।
रजनीश अग्रवाल का जीवन: एक उच्च वर्गीय जीवन से अध्यात्म की ओर
Vimi के बेटे, रजनीश अग्रवाल का जीवन भी उतार-चढ़ाव से भरा रहा। उन्होंने अपने पिता के कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए आर्किटेक्ट की पढ़ाई की और झुनझुनवाला ग्रुप ऑफ कंपनीज़ में डिज़ाइनर के रूप में काम किया। उन्हें इस दौरान अच्छी खासी सैलरी भी मिली और दुनिया भर में घूमने का मौका मिला।
ओशो के संपर्क में आने के बाद रजनीश का जीवन बदल गया
झुनझुनवाला ग्रुप में काम करते हुए रजनीश ओशो के संपर्क में आए, और उनका मन दुनियादारी से हटकर अध्यात्म की ओर बढ़ गया। उन्होंने पूरी तरह से अध्यात्म को अपना लिया और ओशो के पूना आश्रम में रहने लगे। ओशो ने रजनीश का नाम बदलकर स्वामी रजनीश रख दिया। इसके बाद से रजनीश ने अपना जीवन अध्यात्म को समर्पित कर दिया।
स्वामी रजनीश (Swami Rajneesh) का विश्वभ्रमण और लोकप्रियता
ओशो के निधन के बाद, स्वामी रजनीश ने हिमालय की वादियों में एकांतवास किया और फिर उन्होंने दुनिया भर में ओशो के विचारों का प्रचार करने के लिए विश्वभ्रमण शुरू किया। उन्होंने दुनिया के 80 शहरों में मेडिटेशन और सन्यास कैंप्स लगाए। स्वामी रजनीश का यह कार्य उनके शिष्यों के बीच उन्हें एक महान आध्यात्मिक गुरू के रूप में स्थापित कर गया।
ओशो के खिलाफ उठाए गए सवाल
स्वामी रजनीश (Swami Rajneesh) ने अपने गुरु ओशो के खिलाफ भी आवाज उठाई। उन्होंने ओशो की बेतहाशा संपत्ति और उनके आश्रम में आने वाले श्रद्धालुओं से ली जाने वाली मोटी फीस पर सवाल खड़े किए। इस घटनाक्रम ने स्वामी रजनीश की छवि को और अधिक चर्चित बना दिया।
गोवा में आश्रम बनाने की योजना और मैक्सिको में बसाव
स्वामी रजनीश के शिष्यों ने उन्हें गोवा में आश्रम खोलने का सुझाव दिया, जिसके लिए उन्होंने साउथ गोवा के क्वेपेम इलाके में 50 एकड़ जमीन भी खरीदी। लेकिन सरकारी परमिशन मिलने में देरी और अफसरशाही में भ्रष्टाचार के चलते वह योजना पूरी नहीं हो सकी। इसके बाद, उन्होंने मैक्सिको में अपना आश्रम बनाने का निर्णय लिया और 2012 में वहां आश्रम की स्थापना की, जिसका नाम ओज़ेन स्वामी रजनीश रखा गया।
Vimi की आत्मा को शांति
आज, जब हम स्वामी रजनीश के जीवन की ऊँचाइयों को देखते हैं, तो यह जरूर कहा जा सकता है कि विमी की आत्मा को कहीं न कहीं शांति मिलती होगी। उनका बेटा आज अध्यात्म की दुनिया में एक बड़ा नाम बन चुका है और लाखों लोग उसे चाहते हैं।
पूछे जाने वाले प्रश्न
- स्वामी रजनीश कौन हैं? स्वामी रजनीश, अभिनेत्री विमी के बेटे हैं, जिन्होंने अपनी माँ की मौत के बाद अध्यात्म का मार्ग अपनाया और ओशो के शिष्य बने।
- स्वामी रजनीश का जीवन कैसे बदला? स्वामी रजनीश ने ओशो के विचारों से प्रभावित होकर अपनी दुनियावी ज़िंदगी छोड़ दी और अध्यात्म की ओर कदम बढ़ाए।
- स्वामी रजनीश का विवाद क्या था? स्वामी रजनीश ने ओशो की संपत्ति और श्रद्धालुओं से वसूली गई फीस पर सवाल उठाए थे, जिससे उनके बीच मतभेद पैदा हुए।
- स्वामी रजनीश का आश्रम कहां है? स्वामी रजनीश का आश्रम मैक्सिको में है, जिसे ‘ओज़ेन स्वामी रजनीश’ के नाम से जाना जाता है।
- क्या स्वामी रजनीश का कोई अध्यात्मिक योगदान है? हां, स्वामी रजनीश ने दुनियाभर में ओशो के विचारों का प्रचार किया और कई मेडिटेशन कैंप्स का आयोजन किया।
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