Ujjain Mahakal Mandir ,ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में 4 से 9 मई तक सोमयज्ञ का आयोजन होगा। मंदिर परिसर में जलस्तंभ के समीप 5 हवन कुंड बनाए जाएंगे। यज्ञ दक्षिण भारत के यज्ञाचार्य के सानिध्य में संपन्न होगा।

Ujjain mahakal mandir में 5000 साल पुरानी परंपरा का पुनर्जन्म ,ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में अद्भुत सोमयज्ञ का रहस्य!
Ujjain mahakal mandir में 5000 साल पुरानी परंपरा का पुनर्जन्म ,ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में अद्भुत सोमयज्ञ का रहस्य!

इस खबर की महत्वपूर्ण बातें

  1. ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में सोमयज्ञ की तैयारी शुरू
  2. महाकाल मंदिर में 5000 साल पुरानी यज्ञ परंपरा का भव्य आयोजन!
  3. मंदिर अधिकारियों की चुप्पी! क्या संघ प्रमुख के दौरे से जुड़ा है सोमयज्ञ?

विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में 4 से 9 मई तक सोमयज्ञ का आयोजन होने जा रहा है। इस आयोजन के लिए मंदिर परिसर में जलस्तंभ के पास पांच हवन कुंड तैयार किए जा रहे हैं। यह यज्ञ दक्षिण भारत के यज्ञाचार्य की अगुवाई में संपन्न होगा और इसमें स्थानीय विद्वान भी भाग लेंगे। यज्ञ की तैयारी में विशेष औषधियों का उपयोग किया जाएगा ताकि भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सके। यह यज्ञ 5000 साल पुरानी परंपरा के अनुसार आयोजित किया जाएगा।

इस आयोजन के दौरान संघ प्रमुख सहित अन्य विशिष्ट अतिथियों के आने की संभावना है। हालांकि, मंदिर के अधिकारी इस मामले पर कुछ नहीं कह रहे हैं।

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महाकाल मंदिर में यज्ञ आदि अनुष्ठान कराने के लिए पहले से ही जूना महाकाल मंदिर परिसर में विशाल यज्ञशाला का निर्माण किया गया है, लेकिन इस बार आयोजन जलस्तंभ के पास होगा। हवन कुंडों के निर्माण के लिए पुरातत्व विभाग से शिव मंदिर के अवशेष और मूर्तियों को व्यवस्थित करने को कहा गया है। इस दिशा में कार्य शुरू भी हो गया है।

यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि संस्कृति और परंपरा को बनाए रखने के लिए भी विशेष स्थान रखता है।

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पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. सोमयज्ञ क्या है? सोमयज्ञ एक वैदिक अनुष्ठान है जिसमें भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हवन कुंड में अग्नि के माध्यम से आहुति दी जाती है। इससे धन, समृद्धि और अनुकूल परिस्थितियों की प्राप्ति होती है।
  2. सोमयज्ञ कब होगा? सोमयज्ञ 4 से 9 मई तक होगा।
  3. सोमयज्ञ कहां होगा? सोमयज्ञ महाकाल मंदिर परिसर में जलस्तंभ के पास आयोजित किया जाएगा।
  4. इस अनुष्ठान की अगुवाई कौन करेगा? इस अनुष्ठान की अगुवाई दक्षिण भारत के यज्ञाचार्य करेंगे और स्थानीय विद्वान भी इसमें भाग लेंगे।
  5. यह यज्ञ क्यों महत्वपूर्ण है? यह यज्ञ 5000 साल पुरानी परंपरा के अनुसार किया जाएगा, जो न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है

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