क्या आप जानते हैं? Mahakal की भस्म आरती से जुड़ी रहस्यमयी कहानियाँ जो आपको हैरान कर देंगी!
मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं का भरपूर आवागमन होता है। यहां की भस्म आरती भगवान शिव के श्रृंगार का अद्वितीय अंश है। प्राचीन काल से ही इस मंदिर में भस्म आरती का अभ्यास चला आ रहा है। इस आरती के माध्यम से शिव भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भस्म आरती के पीछे अनेक मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हैं, जो लोगों के बीच विवादित भी होती हैं।
इस खबर की महत्वपूर्ण बातें
- महाकाल की भस्म आरती: आदिकाल से प्रचलित परंपरा
- भस्म आरती: महाकाल की शक्ति का अद्वितीय अनुभव
- क्या भस्म आरती रोगों से मुक्ति दिला सकती है? विवादित सिद्धांतों की चर्चा
(महाकाल की भस्म आरती: आदिकाल से प्रचलित परंपरा)
मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर महादेव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यहां की भस्म आरती उनके आदिकाल से चली आ रही परंपरा का प्रतीक है। भस्म आरती के द्वारा भगवान शिव के समर्पित भक्त उनके आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं और उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस पावन प्रक्रिया के बारे में अनेक मान्यताएं और प्रेरक कथाएं हैं, जो इसे एक अनूठा और महत्वपूर्ण धार्मिक अनुभव बनाती हैं।
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महाकालेश्वर मंदिर की भस्म आरती रोगों से छुटकारा दिलाने का भी असर माना जाता है। प्राचीन समय में भस्म लाने की परंपरा श्मशान से शुरू हुई थी, जिसमें विभिन्न पदार्थों को जलाकर भस्म तैयार किया जाता था। यह मान्यता है कि महाकाल के भस्म को प्राप्त करने से व्यक्ति को रोगों और दोषों से मुक्ति मिलती है। विज्ञान अभी इस तथ्य को स्वीकारने से पीछे है, लेकिन लोगों की विश्वासयात्रा और धार्मिक आस्था में इसे एक महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है।
महाकाल की भस्म आरती के प्रति श्रद्धालुओं का आवागमन लगातार बढ़ता जा रहा है। भस्म आरती में उन्हें महाकाल के प्रति अपनी विशेष प्रेम और समर्पण का अभिव्यक्ति का अवसर प्राप्त होता है। इस पवित्र आरती में श्रद्धालु अपने मन की गहराइयों से भगवान के समीप होते हैं और उनसे अपनी मनोकामनाओं का अनुरोध करते हैं।
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महाकाल की भस्म आरती के प्रति लोगों की भक्ति और आस्था ने इसे एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण प्राथमिकता बना दिया है। यहां की आरती की मान्यताओं, परंपराओं, और धार्मिक अर्थ को समझने में हमें एक विशेष संवेदनशीलता की आवश्यकता है। इससे हम अपने धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन को समृद्धि और सामर्थ्य से भर सकते हैं।
पूछे जाने वाले प्रश्न
- महाकाल की भस्म आरती क्या है? महाकाल की भस्म आरती एक धार्मिक प्रथा है जो मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन की जाती है। इस आरती में भगवान शिव का श्रृंगार भस्म से किया जाता है।
- क्या महाकाल की भस्म आरती से रोगों का इलाज होता है? इस बारे में कोई वैज्ञानिक सिद्धांत नहीं है, लेकिन कई लोग धार्मिक आस्था के साथ भस्म आरती का पालन करते हैं और उन्हें इससे शारीरिक और मानसिक लाभ मिलता है, जो उन्हें रोगों से निजात दिलाने में मदद कर सकता है।
- कितने बार और किस समय महाकाल की भस्म आरती होती है? महाकाल की भस्म आरती दिन में कुल 6 बार होती है। पहली आरती सुबह 4 बजे भस्म से की जाती है, जिसे मंगला आरती भी कहा जाता है।
- क्या भस्म आरती महाकाल के आशीर्वाद के लिए की जाती है? हां, मान्यता है कि महाकाल भस्म आरती से प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। भस्म आरती का पालन करने से भक्तों की इच्छाएं पूरी होती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
- क्या भस्म आरती का पर्वेश स्वीकार्य है? हां, भस्म आरती का पालन करने में कोई विशेष परेशानी नहीं होती है। यह धार्मिक प्रथा लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण और प्रिय कार्य है जो उनके आध्यात्मिक और मानसिक संतुलन में मदद करता है।
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