छात्र संघ चुनावों में भाग लेने वाले इस स्टूडेंट ने बताया कि उनके पोस्टरों को काटा गया और उन्हें भद्दे तरीके से बदनाम किया गया। उन्हें ‘भाजपा समर्थक’ और ‘फासीवादी’ जैसे शब्दों से बुरा भाला कहा गया। छात्र ने इसे वामपंथियों के द्वारा ऑर्गेनाइज किया गया अभियान बताया। इस घटना के बाद, छात्र ने खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों के बीच भारतीय ध्वज लेकर उनके खिलाफ उठे सवालों को भी साझा किया। छात्र ने इसे एक पूरी तरह से विपक्षी अभियान के रूप में देखा और अपने समर्थकों की भी निंदा की।
इस विवाद से बावजूद, सत्यम ने अपने मकसद को पाने के लिए हौंसला नहीं हारा। उन्हें कई लोगों का समर्थन मिला, जो उनके साथ खड़े रहे और इस विवाद में उनके साथ सोलिडरिटी दिखाई। इसके बावजूद, सत्यम ने कहा कि हर अंतरराष्ट्रीय व्यक्ति वर्तमान प्रधानमंत्री को एक दिग्गज राजनेता के रूप में पसंद करता है।
इस विवाद का समाधान अभी भी चल रहा है, और सत्यम का यह उद्यम विचारकों के बीच गहरी चर्चा का विषय बना है। यह स्थिति छात्रों के अधिकारों और मतदाताओं के प्रति समाज की संवेदनशीलता को उजागर करती है, और चुनाव प्रक्रिया में न्याय की मांग को लेकर चिंता और चर्चा को बढ़ावा देती है।