- किशनगंज में 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की बढ़त, मोहम्मद जावेद को मिले 3,67,017 वोट
- क्या है किशनगंज की राजनीति का रहस्य? चुनावी रणनीति और उम्मीदवारों की गर्म टक्कर!
- किशनगंज चुनावी मैदान: कांग्रेस की जीत पर बीएसपी-जेडीयू का आरोप, चुनाव अवैध था?
किशनगंज(Kishanganj), बिहार में स्थित लोकसभा सीट पर वीआईपी उम्मीदवारों की मानवाधिकारों से जुड़ी बातें चर्चा में हैं। यहां की राजनीति में मुस्लिम बहुल वोट का बड़ा हिस्सा है और इसलिए यह सीट विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। किशनगंज लोकसभा सीट पर चुनावी लड़ाई हमेशा ही दिलचस्प रही है, चाहे वह चुनावी मैदान की गर्मी हो या चुनावी रणनीतियों की चर्चा।
किशनगंज का इतिहास राजनीतिक उपलब्धियों और बदलते सामाजिक परिवेश की धाराओं से भरा हुआ है। यहां के चुनावों में बीजेपी हमेशा बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को उठाती रही है, जबकि कांग्रेस और अन्य दलों के उम्मीदवार इस समूह को वोट बैंक मानते हैं। इस सीट पर जीत का मामला हर बार रोमांचक होता है, जिससे राजनीतिक दलों के बीच तनाव बना रहता है।
किशनगंज जिला बिहार में एकमात्र जिला है जहां चाय के बागान हैं, और यहां के कृषि और उद्योग समृद्ध हैं। महाभारतकालीन अवशेषों का मौजूद होना इस स्थान को ऐतिहासिक महत्व के साथ भी योग्य बनाता है।
2019 के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार मोहम्मद जावेद ने किशनगंज सीट पर जीत दर्ज की, जबकि 2014 में यह सीट कांग्रेस के असरार-उल-हक़ क़ासमी ने जीती थी। इससे पता चलता है कि किशनगंज की राजनीति में स्थिरता की कमी है और चुनावी लड़ाई हमेशा खींचतान भरी रहती है।