कोलकाता की पीड़ित डॉक्टर बिटिया की पहचान (Doctor Identity) सोशल मीडिया पर उजागर करना भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 के तहत अपराध है। ऐसा करने वालों को दो साल की सजा हो सकती है।

Doctor identity लीक करने पर सोशल मीडिया में 2 साल की सजा
Doctor identity लीक करने पर सोशल मीडिया में 2 साल की सजा

इस खबर की महत्वपूर्ण बातें

  1. कोलकाता की पीड़ित डॉक्टर बिटिया की पहचान उजागर करना अपराध है: जानें इसके कानूनी परिणाम
  2. सोशल मीडिया पर कोलकाता की डॉक्टर बिटिया की पहचान उजागर करने पर होगी सख्त कार्रवाई!
  3. क्या आपने भी किया ये बड़ा अपराध? डॉक्टर बिटिया की पहचान उजागर करने पर होगी सज़ा

सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से पहले सावधान रहें! कोलकाता की पीड़ित डॉक्टर बिटिया की पहचान (Doctor Identity) उजागर करना न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि यह भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 के तहत एक गंभीर अपराध भी है। जिन लोगों ने अतिरेक में आकर इस बिटिया की फोटो और नाम प्रकाशित किया है, उन्हें अब कानूनी दंड का सामना करना पड़ सकता है।

कानूनी विशेषज्ञ और वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेशराय द्विवेदी ने साफ़ तौर पर बताया है कि इस तरह की गतिविधियों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 के प्रावधान लागू होते हैं, जो अपराधियों को दो साल तक की सजा दे सकते हैं। द्विवेदी जी के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की पहचान, जिसे किसी अपराध का शिकार माना गया है, उजागर की जाती है, तो यह धारा 72 के तहत दंडनीय अपराध है।

BNS 2023 के अनुसार, धारा 64 से धारा 71 के अंतर्गत आने वाले अपराधों के पीड़ित की पहचान को उजागर करना गैरकानूनी है। इसे करने पर आरोपी को दो साल तक के कारावास और जुर्माने की सजा मिल सकती है। इस कानून का उद्देश्य पीड़ित की सुरक्षा सुनिश्चित करना और उनकी पहचान को सुरक्षित रखना है।

हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में यह कानून लागू नहीं होता। यदि पुलिस अधिकारी, जो जांच का भार संभाल रहे हैं, लिखित आदेश के माध्यम से पहचान उजागर करने की अनुमति देते हैं, या पीड़ित स्वयं इस बात की अनुमति देता है, तो यह अपराध नहीं माना जाएगा। इसके अतिरिक्त, यदि पीड़ित की मृत्यु हो चुकी है, बच्चा है, या मानसिक रूप से अस्वस्थ है, तो उनके निकटतम संबंधी के लिखित प्राधिकार से पहचान उजागर की जा सकती है।

इस प्रावधान का उल्लंघन करने पर न केवल सामाजिक निंदा का सामना करना पड़ सकता है, बल्कि कानूनी परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं। सोशल मीडिया पर ऐसी कोई भी जानकारी साझा करने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए, जिससे पीड़ित की पहचान उजागर हो सकती है।

वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेशराय द्विवेदी की सलाह है कि लोग अपनी संवेदनाओं पर नियंत्रण रखें और ऐसे मामलों में न्याय प्रक्रिया का सम्मान करें।

पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. क्या सोशल मीडिया पर पीड़ित की पहचान उजागर करना अपराध है? हाँ, भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 के तहत पीड़ित की पहचान उजागर करना अपराध है, जिसमें दो साल तक की सजा का प्रावधान है।
  2. किस धारा के तहत यह अपराध आता है? यह अपराध भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 72 के अंतर्गत आता है।
  3. क्या इस कानून के कोई अपवाद हैं? हाँ, पुलिस अधिकारी के लिखित आदेश से या पीड़ित के लिखित प्राधिकार से पहचान उजागर की जा सकती है।
  4. क्या पहचान उजागर करने पर जुर्माना भी हो सकता है? हाँ, पहचान उजागर करने पर जुर्माने के साथ दो साल तक की सजा हो सकती है।
  5. इस कानून का उद्देश्य क्या है? इस कानून का उद्देश्य पीड़ित की पहचान को सुरक्षित रखना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

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