Diabetes Ketones : शरीर में कीटोन का लेवल तब हाई हो जाता है, जब इंसुलिन धीरे-धीरे कम होने लगता है। जिसके कारण टाइप-1 डायबिटीज के मरीज में कीटोन्यूरिया की समस्या बढ़ जाती है। कीटोन का ब्लड में बढ़ना DKA को ट्रिगर कर सकते हैं, जो Diabetes में खतरनाक होता है।
इस खबर की महत्वपूर्ण बातें
- डायबिटीज में कीटोंस का लेवल बढ़ना है बेहद खतरनाक, ये रहे लक्षण, ऐसे करें कंट्रोल
- डायबिटीज में कीटोंस का कहर! जानें कैसे बचें इस जानलेवा स्थिति से
- क्या डायबिटीज का इलाज कर रही दवाएं बढ़ा रही हैं कीटोंस का खतरा?
Diabetes के मरीजों की संख्या दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही है, और इसके साथ ही बढ़ रहा है एक और खतरा—कीटोन्स का बढ़ा हुआ लेवल, जिसे डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (DKA) के रूप में जाना जाता है। यह स्थिति टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों के लिए विशेष रूप से खतरनाक है। जब शरीर में इंसुलिन का स्तर कम हो जाता है, तो शरीर ऊर्जा के लिए फैट और प्रोटीन का उपयोग करता है, जिससे कीटोंस नामक केमिकल्स का निर्माण होता है। यह स्थिति कीटोन्यूरिया पैदा कर सकती है, जो डायबिटीज मरीजों के लिए गंभीर समस्या बन सकती है।
कीटोन्स और डायबिटीज का संबंध
कीटोन्स एसिड होते हैं जो लिवर में बनते हैं और हर किसी के शरीर में होते हैं, चाहे उन्हें Diabetes हो या न हो। लेकिन जब डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है, तो कीटोंस का स्तर बढ़ जाता है। टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों में यह समस्या अधिक देखी जाती है। जब शरीर कार्बोहाइड्रेट्स की जगह फैट और प्रोटीन को ऊर्जा के लिए उपयोग करता है, तो कीटोंस का निर्माण होता है, जो शरीर से टॉयलेट के माध्यम से बाहर निकलते हैं। लेकिन अगर यूरिन में कीटोंस की मात्रा बढ़ जाए, तो यह कीटोन्यूरिया की गंभीर स्थिति को जन्म दे सकती है।
कीटोन्यूरिया: कारण और लक्षण
जब यूरिन में कीटोंस की मात्रा अधिक हो जाती है, तो इस स्थिति को कीटोन्यूरिया कहते हैं। यह तीन प्रकार के होते हैं: एसीटोएसिटेट, β-हाइड्रॉक्सीब्यूटाइरेट, और एसीटोन। जब शरीर ऊर्जा के लिए बैकअप फैट और प्रोटीन का उपयोग करता है, तो कीटोन्स का निर्माण होता है। Diabetes के मरीजों के लिए यह स्थिति खतरनाक है क्योंकि इससे शरीर में फैट और प्रोटीन की कमी हो सकती है और इंसुलिन का स्तर और कम हो सकता है।
कीटोन्यूरिया के लक्षण
कीटोन्यूरिया के लक्षणों में अत्यधिक प्यास लगना, मतली, डिहाईड्रेशन, बार-बार पेशाब लगना, सांस लेने में कठिनाई, और आंखों की पुतलियों का फैलना शामिल हैं। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो यह डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (DKA) की स्थिति में बदल सकता है, जो जानलेवा हो सकती है।
कीटोन्यूरिया से बचाव
कीटोन्यूरिया से बचने के लिए शरीर में ब्लड ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित रखना जरूरी है। इंसुलिन लेने वाले मरीजों को सही समय पर इंसुलिन लेना चाहिए और ज्यादा देर तक भूखे रहने से बचना चाहिए। ब्लड शुगर लेवल की नियमित जांच करना भी महत्वपूर्ण है। अगर किसी को Diabetes है, तो उसे अपने डॉक्टर से नियमित रूप से परामर्श करना चाहिए और किसी भी असामान्य लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
डिस्क्लेमर – यहां बताए गए उपाय सिर्फ सामान्य ज्ञान पर आधारित हैं। इसके लिए आप किसी हेल्थकेयर प्रोफेशनल से सलाह लेने के बाद ही अपनाएं।
पूछे जाने वाले प्रश्न
- कीटोंस क्या हैं? कीटोंस एसिड होते हैं जो लिवर में बनते हैं और ऊर्जा के लिए फैट और प्रोटीन के उपयोग से बनते हैं।
- कीटोन्यूरिया क्या है? जब यूरिन में कीटोंस की मात्रा बढ़ जाती है, तो इस स्थिति को कीटोन्यूरिया कहते हैं।
- डायबिटीज में कीटोंस का बढ़ा हुआ स्तर क्यों खतरनाक है? कीटोंस का बढ़ा हुआ स्तर डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (DKA) को ट्रिगर कर सकता है, जो जानलेवा हो सकता है।
- कीटोन्यूरिया के लक्षण क्या हैं? प्यास लगना, मतली, डिहाईड्रेशन, बार-बार पेशाब लगना, सांस लेने में कठिनाई, और आंखों की पुतलियों का फैलना।
- कीटोन्यूरिया से कैसे बच सकते हैं? ब्लड ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित रखना, सही समय पर इंसुलिन लेना, और ज्यादा देर तक भूखे रहने से बचना।
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