CAA क्या है ? मोदी सरकार का लोकसभा से पहले चला चुनावी दांव, नागरिकता कानून पर बवाल का राज
मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA), 2019 को लागू करने की घोषणा की थी। यह अधिनियम देश के नागरिकता कानून में बदलाव लाने का प्रयास है। CAA के तहत, पिछले दो सालों में, नौ राज्यों के 30 से ज्यादा जिला मजिस्ट्रेटों और गृह सचिवों को नागरिकता कानून 1955 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने की शक्तियां दी गई हैं।
CAA क्या है ? मोदी सरकार का लोकसभा से पहले चला चुनावी दांव, नागरिकता कानून पर बवाल का राज
इस खबर की महत्वपूर्ण बातें
- “सीएए: लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार द्वारा किया गया लागू”
- “हलचल मचा दी: सीएए के नियमों ने उत्तेजना फैलाई”
- “विवादास्पद कदम: सीएए का अमल लोगों में बहस और असहमति भरा”
मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के मुद्दे पर देश भर में बहस और असहमति का माहौल है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले यह अधिनियम लागू किया गया और इसका अमल देशभर में हो रहा है। सीएए के तहत, पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और ईसाई धार्मिक अल्पसंख्याकों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जा रही है।
CAA के लागू होने के बाद, बगैर दस्तावेज के पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आये हिंदुओं, सिखों को नागरिकता मिलेगी। इसमें अधिनियम में मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है। CAA 2019 के तहत, 31 दिसंबर, 2014 तक भारत में प्रवेश करने वाले और अपने मूल देश में “धार्मिक उत्पीड़न या धार्मिक उत्पीड़न के डर” का सामना करने वाले प्रवासियों को नए कानून के तहत भारतीय नागरिकता के लिए पात्र बनाया गया था।
सीएए को लेकर विभिन्न धार्मिक समुदायों और राजनैतिक दलों के बीच तनाव बढ़ा है। इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन और मुद्दे पर बहसें देशभर में देखी जा रही हैं। मुस्लिम समुदाय का दावा है कि यह अधिनियम संविधान के साथ खिलवाड़ है और धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देता है।
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अधिनियम के प्रतिवादियों का कहना है कि यह अधिनियम धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए लोगों को सहारा प्रदान करता है और उन्हें भारतीय समाज में संबोधित करता है।
सीएए के अमल को लेकर बहस जारी है, जो देश की राजनीति में गहरे विभाजन का कारण बन रही है।
#WATCH | On Citizenship Amendment Act (CAA), BJP leader Manjinder Singh Sirsa says, “I thank Prime Minister Narendra Modi and Home Minister Amit Shah. It was our demand for a long time that CAA should be implemented in the country and our brothers who have come from Afghanistan,… pic.twitter.com/DR0uOMrJAD
— ANI (@ANI) March 11, 2024
सीएए का अमल काफी विवादों को उत्पन्न कर रहा है, और इसके प्रति लोगों के विभिन्न धार्मिक और राजनैतिक दृष्टिकोण हैं। अधिनियम के प्रतिवादियों का कहना है कि यह मुस्लिम समुदाय को नागरिकता से वंचित कर रहा है और उन्हें असहाय बना रहा है। वे इसे संविधान के खिलाफ और धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देने वाला मानते हैं।
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सीएए के पक्ष में हैं कि यह अधिनियम उन लोगों को समर्थन देता है जो अपने देश में उत्पीड़न का शिकार होकर भारत आए हैं। यह भारतीय समाज में उनके समावेश को प्रोत्साहित करता है और उन्हें नई जिंदगी की संभावनाएं प्रदान करता है।
सीएए के माध्यम से लागू होने वाले नियमों ने अनेक राज्यों में विरोध प्रदर्शन और चरम परिस्थितियों को उत्पन्न किया है। इसके समर्थक और विरोधी दोनों धार्मिक समुदायों के बीच तनाव बढ़ गए हैं। इसके निर्णय के प्रभाव को अभी तक समझना मुश्किल है, लेकिन यह सुनिश्चित है कि सीएए और उसके नियमों पर चर्चा और विवाद जारी रहेंगे।
पूछे जाने वाले सवाल
- CAA क्या है? CAA याने कि ‘नागरिकता संशोधन कानून’ एक अधिनियम है जिसमें भारतीय नागरिकता के अधिकारों को बदला गया है।
- CAA किसे लागू किया गया है? CAA को 2019 में भारतीय संसद ने पारित किया और इसे लागू किया गया है। यह हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनों, पारसियों और ईसाइयों को अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले लोगों को नागरिकता देने का उद्देश्य रखता है।
- CAA क्यों विवादित है? CAA के खिलाफ विवाद इसलिए है क्योंकि इसमें धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए चयन किया गया है, जबकि इसमें मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है।
- CAA की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? CAA ने 31 दिसंबर, 2014 तक भारत में प्रवेश करने वाले और “धार्मिक उत्पीड़न या धार्मिक उत्पीड़न के डर” का सामना करने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने का निर्णय लिया है।
- CAA के खिलाफ विरोध क्यों है? विरोधियों का कहना है कि CAA में मुसलमानों को नागरिकता देने से इनका भेदभाव किया जा रहा है और यह भारतीय संविधान के खिलाफ है।
- CAA के खिलाफ कौन कौन हैं? कई राज्यों की सरकारें, राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन और नागरिक समूह इसे विरोध कर रहे हैं। मुस्लिम समुदाय भी इसे विरोध कर रहे हैं।
- CAA के प्रति समर्थन क्यों है? समर्थकों का कहना है कि CAA भारत में धार्मिक उत्पीड़न से प्रभावित लोगों को न्याय देने का प्रयास है और इससे देश की सुरक्षा बढ़ेगी।
- CAA का असर क्या होगा? CAA का प्रभाव हो सकता है कि यह भारत में आने वाले लोगों को नागरिकता देने के कानूनी तरीके को प्रस्तुत करेगा, और उन्हें समाज में समाहित करेगा।
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