Electoral Bonds Case : सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर, SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स के डेटा को सौंपा
इलेक्टोरल बॉन्ड्स के मामले में, एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को महत्वपूर्ण जानकारी सौंपी है, जो कि दो अलग-अलग PDF फ़ाइलों में रखी गई है। इस डेटा का सौंपना सुप्रीम कोर्ट की मांगों को पूरा करते हुए हुआ है और यह विवाद के दौरान हुआ है।
Electoral Bonds Case : सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर, SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स के डेटा को सौंपा
इस खबर की महत्वपूर्ण बातें
- इलेक्टोरल बॉन्ड्स मामला: एसबीआई ने दो PDF फ़ाइलों में जानकारी सौंपी
- धमाकेदार खुलासा: एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के दबाव में इलेक्टोरल बॉन्ड्स का डेटा सौंपा
- विवादास्पद: इलेक्टोरल बॉन्ड्स के नियमों में परिवर्तन की मांग करते हुए एसबीआई की याचिका खारिज
इलेक्टोरल बॉन्ड्स के विवादित मामले में, एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को महत्वपूर्ण जानकारी सौंपी है, जो कि दो अलग-अलग PDF फ़ाइलों में रखी गई है। इस डेटा का सौंपना सुप्रीम कोर्ट की मांगों को पूरा करते हुए हुआ है और यह विवाद के दौरान हुआ है।
पहली फ़ाइल में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी दी गई थी, जबकि दूसरी फ़ाइल में उन राजनीतिक दलों का नाम था, जिन्होंने बॉन्ड्स को भुनाया था। यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट की मांग पर एसबीआई द्वारा प्रस्तुत की गई है।
#WATCH | Lucknow: On Supreme Court dismissing SBI’s plea for an extension on electoral bonds case, Rashtriya Shoshit Samaj Party chief, Swami Prasad Maurya says, ” …BJP has to give reply and to escape from this, to avoid discussion on election scam, they implemented CAA in a… pic.twitter.com/JVO432FDvx
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 12, 2024
इस विवाद में एक और महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि जिन बॉन्डों के पैसे 15 दिनों के अंदर नहीं भुनाए गए थे, उन्हें प्रधानमंत्री के नेशनल रिलीफ फ़ंड में ट्रांसफर कर दिया गया था। इससे बड़े पैमाने पर विवाद उत्पन्न हुआ है, जो राजनीतिक निधि की ट्रांसपैरेंसी और नियमन को लेकर चर्चाओं को और तेज़ किया है।
इलेक्टोरल बॉन्ड्स के मामले में नामवर्ता के बाद, यह डेटा सौंपने का प्रक्रियात्मक संघर्ष और सुप्रीम कोर्ट की संवेदनशीलता पर नज़र डालता है। सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख संदेश है कि वह राजनीतिक निधि में पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रति अपने समर्थन को प्रमुखता देती है। इस निर्णय के माध्यम से, सुप्रीम कोर्ट ने समय में जानकारी का प्रकटीकरण की मांग को ज़ोर दिया है, जिससे राजनीतिक निधि के क्षेत्र में अधिक पारदर्शिता को प्रोत्साहित किया जा सके।
इलेक्टोरल बॉन्ड्स के डेटा के बारे में इस खुलासे ने राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों में उत्थान की गर्माहट को बढ़ाया है। इस समय, राजनीतिक दल और नागरिक समाज संगठनों के बीच व्यापक चर्चा है कि राजनीतिक निधि के क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को कैसे बढ़ाया जा सके। यह विवाद और संवेदनशीलता के मामले में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारतीय राजनीतिक प्रणाली के लिए समय-समय पर सुधारों की आवश्यकता को प्रकट करता है।
पूछे जाने वाले प्रश्न
- इलेक्टोरल बॉन्ड्स क्या हैं? इलेक्टोरल बॉन्ड्स एक प्रकार के वित्तीय संस्करण हैं जो भारतीय राजनीतिक दलों को निजी दान और चंदा प्राप्त करने के लिए उपलब्ध होते हैं। ये बॉन्ड्स नकदी के रूप में नहीं होते हैं, बल्कि बैंक द्वारा जारी किए जाते हैं और इन्हें किसी भी बैंक के माध्यम से खरीदा जा सकता है। इलेक्टोरल बॉन्ड्स की खासियत यह है कि इनका खुलासा नहीं किया जाता है और दानकर्ता का नाम भी गुप्त रहता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने SBI से क्या मांगा था? सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से यह मांग की थी कि वे इलेक्टोरल बॉन्ड्स से जुड़े सभी डेटा को सुप्रीम कोर्ट को सौंपें। यह डेटा उन पीडीएफ फ़ाइलों में था जिन्हें बैंक ने स्टोर किया था।
- SBI ने कैसे इलेक्टोरल बॉन्ड्स के डेटा को सौंपा? एसबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स के डेटा को दो अलग-अलग पीडीएफ फ़ाइलों में संग्रहीत किया। यह फ़ाइलें पेनड्राइव में स्टोर की गई थीं और उन्हें पासवर्ड से सुरक्षित किया गया था। एसबीआई ने एक अलग लिफाफे में पासवर्ड की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को प्रदान की थी, जिसमें इलेक्टोरल बॉन्ड्स से जुड़े सभी डेटा था।
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