पंडित सूर्यनारायण मिश्रा,उज्जैन। मंगल दोष (Mangal dosh) एक महत्वपूर्ण विषय है जो हिंदू विवाह परंपरा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संबंधों को सुखद और समृद्ध बनाने के लिए कुंडली मिलान एक आवश्यक चरण है। इस प्रक्रिया में,मंगल दोष का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे बधाई या अशुभ फल के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ये भूल, जानिए Mangal dosh के बारे में-लग्न, चौथे, सातवें, आठवें अथवा बारहवें भाव में केवल स्थित होने से नहीं होता है कोई दोष
कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ये भूल, जानिए Mangal dosh के बारे में-लग्न, चौथे, सातवें, आठवें अथवा बारहवें भाव में केवल स्थित होने से नहीं होता है कोई दोष

 इस खबर की महत्वपूर्ण बातें

  1. मंगल दोष को जानें: कुंडली में स्थिति के बिना नहीं होता कोई दोष
  2. ध्यान दें! क्या आपकी कुंडली में है मंगल दोष? जानिए अब
  3. क्या सिर्फ मंगल ग्रह की स्थिति ही काफी है? मंगल दोष का विवाद

सनातन धर्म में विवाह के पूर्व युवक- युवती की कुंडलियों का मिलान जरूरी माना जाता है। योग्य ज्योतिषों से इसके मिलान कराया जाता है। मिलान में सबसे पहले मंगल योग देखा जाता है। यह पता लगाया जाता है कि कहीं युवक अथवा युवती मांगलिक तो नहीं है। कुंडली में इस तरह का दोष नहीं होने पर ही बात आगे बढ़ाई जाती है। मगर कई बार यह देखने में आता है कि केवल मंगल ग्रह की स्थिति (लग्न कुंडली में पहले, चौथे, सातवें, आठवें अथवा बारहवें) में देखकर व्यक्ति को मांगलिक बता दिया जाता है। यह सही नहीं है।

ज्योतिष शास्त्र कहता है कि कुंडली में और भी कई बिंदु होते हैं, जिनकी पड़ताल के बाद ही यह कहा जा सकता है कि युवक अथवा युवती मांगलिक हैं अथवा नहीं। कई बार केवल मंगल ग्रह की स्थिति देखकर कुछ ज्योतिष संबंधित कुंडली को मांगलिक करार दे देते हैं, जिससे अच्छा रिश्ता भी होने से रह जाता है। आज हम आपको बताएंगे कि वह कौन-कौन सी ऐसी स्थितियां हैं, जिनकी उपस्थिति से मंगल दोष समाप्त होता है अथवा इन स्थितियों की उपस्थिति के कारण मंगल दोष नहीं लगता।

  • अगर मंगल कुंडली के उपरोक्त किसी भी घर (1, 4, 7, 8, 12) में हो और साथ में मेष अथवा वृश्चिक राशि अथवा उच्च मकर राशि में हो तो संबंधित व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष नहीं रहता।
  • अगर मंगल 12वें घर में है और वृषभ अथवा तुला राशि का है, तो भी जातक को मंगल दोष नहीं लगता।
  • अगर मंगल सातवें घर में है और कर्क अथवा मकर राशि में है तो मंगल दोष नहीं बनता।
  • आठवें भाव का मंगल अगर धनु राशि में हो तो भी मंगल दोष का निवारण होता है।
  • कर्क और सिंह राशि के जातकों के लिए मंगल ग्रह सदा योगकारक माना गया है।
  • अगर लग्न में गुरु अथवा शुक्र विराजमान हैं तो मंगल दोष का प्रभाव न्यूनतम हो जाता है।
  • अगर मंगल उपरोक्त भाव में है और गुरु अथवा चंद्रमा के साथ है तो भी मंगल दोष नहीं माना जाता।
  • कई विद्वान ज्योतिष मंगल की युति सूर्य, बुध, शनि, राहु के साथ होने की स्थितियों पर भी मंगल दोष नहीं मानते।
  • अगर कुंडली में मंगल बलहीन है तो वह किसी भी भाव में शुभ-अशुभ फल नहीं देता।

इसलिए साथियों किसी भी कुंडली को मांगलिक करार देने से पहले योग्य ज्योतिष से इन समीकरणों के बारे में जरूर चर्चा करें। ताकि केवल ग्रह की उपरोक्त घरों में रहने की स्थिति के कारण कोई अच्छा रिश्ता होने से वंचित न रह जाए

पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. मंगल दोष क्या है? मंगल दोष एक ज्योतिषीय दोष है जो कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति के आधार पर प्रकट होता है।
  2. क्या सभी मंगलिकों को कुंडली में दोष माना जाता है? नहीं, केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में मंगलिकों को मंगल दोष माना जाता है।
  3. मंगल दोष का समाधान क्या है? मंगल दोष के समाधान के लिए विभिन्न उपाय हैं, जैसे की पूजा, दान, यज्ञ आदि।
  4. क्या मंगल दोष के बिना भी रिश्ते सम्भव हैं? हां, कुछ विशेष परिस्थितियों में मंगल दोष का बारीकी से विश्लेषण किया जाता है, और रिश्ते संभव होते हैं।
  5. क्या मंगल दोष के कारण ही विवाह संबंधों में समस्याएं होती हैं? नहीं, मंगल दोष के अलावा भी कई अन्य कारक हो सकते हैं जो रिश्तों में समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं।

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