Lok Sabha Elections 2024 : लोकसभा का बड़ा खुलासा: दो सांसदों वाली व्यवस्था का अंत क्यों किया गया?

पहले लोकसभा चुनाव के दौरान भारत में 2 सांसदों की नियुक्ति का एक अनोखा प्रयोग हुआ था, जिसमें एक सीट से दो सांसद चुने जाते थे। इसका मकसद था विवादित और असमानता के क्षेत्रों से लोगों को लोकसभा में प्रतिनिधित्व देना। प्रारंभिक दशकों में यह प्रयोग बहुत महत्वपूर्ण रहा, जिसने व्यक्तिगत, सामाजिक, और राजनीतिक उत्थान की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। इस सिस्टम को 1961 में समाप्त कर दिया गया, जब 1962 के चुनावों में अलग-अलग सामान्य और आरक्षित सीटों की व्यवस्था लागू की गई। यह एक उदाहरण है कि भारतीय लोकतंत्र ने अपने आरंभिक दिनों में विवादित समाज के अंतर्निहित मुद्दों को समझने और समाधान करने के लिए कई नए और साहसिक प्रयोग किए हैं

Lok Sabha Elections 2024 : लोकसभा का बड़ा खुलासा: दो सांसदों वाली व्यवस्था का अंत क्यों किया गया?

Lok Sabha Elections 2024 : लोकसभा का बड़ा खुलासा: दो सांसदों वाली व्यवस्था का अंत क्यों किया गया?
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इस खबर की महत्वपूर्ण बातें

  1. “भारत में दो सांसदों वाली व्यवस्था का अंत: एक सीट से एक ही सांसद”
  2. “आखिरकार! ऐतिहासिक फैसला – दो सांसदों वाली व्यवस्था को समाप्त किया गया”
  3. “क्या यह सही था? भारतीय लोकसभा में ‘एक सीट, दो सांसद’ का प्रणाम?”

भारत में लोकसभा चुनाव के पहले दो दशकों में, जिसमें देशनिर्माण के उत्थान में लोगों का सामूहिक योगदान था, एक अद्वितीय राजनीतिक व्यवस्था अपनाई गई थी। इस व्यवस्था के अनुसार, कुछ सीटों पर एक सीट से अधिक सांसद चुने जा सकते थे, जो कि समाज में सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए किया गया था।

1951 और 1957 के चुनावों में, इस अद्वितीय प्रणाली ने देश के विभिन्न क्षेत्रों से लोकतंत्र की असीम स्थापना के प्रयास को दर्शाया। इस दौरान, विभिन्न सीटों पर दो-दो सांसदों का चयन किया गया, जिससे समाज के विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व हो सके।

साल संसदीय सीट 1-सांसद वाली सीट 2-सांसदों वाली सीट SC समुदाय के लिए आरक्षित सीट ST समुदाय के लिए आरक्षित सीट कुल सीट
1951-52 400 306 86 8 489
1957 403 296 91 16 494
1962 494 385 79 30 494

 

1961 में, ‘टू-मेंबर कंस्टीट्यूएंसी एबॉलिशिन एक्ट’ के तहत, इस प्रणाली को समाप्त कर दिया गया। इसके बाद, प्रत्येक सीट पर केवल एक ही सांसद का चयन होने लगा, जो देश के विकास में सभी क्षेत्रों के प्रतिनिधित्व को मजबूत करने में मददगार साबित हुआ।

S. No राज्य संसदीय सीट 1-सांसद वाली सीट 2-सांसदों वाली सीट SC समुदाय के लिए आरक्षित सीट ST समुदाय के लिए आरक्षित सीट कुल सीट
1. असम 10 8 2 8 12
2. बिहार 44 31 11 2 55
3. बॉम्बे 37 29 8 45
4. मध्य प्रदेश 23 16 6 1 29
5. मद्रास 62 49 13 75
6. ओडिशा 16 9 4 3 20
7. पंजाब 15 12 3 18
8. उत्तर प्रदेश 69 52 17 86
9. पश्चिम बंगाल 25 19 6 34
10. हैदराबाद 21 17 4 25
11. मध्य भारत 9 6 2 1 11
12. मैसूर 9 7 2 11
13. पटियाला एंड ईस्ट पंजाब स्टेट्स यूनियन 4 3 1 5
14. राजस्थान 18 15 2 1 20
15. सौराष्ट्र 6 6 6
16. त्रावणकोर-कोचिन 11 10 1 12
17. अजमेर 2 2 2
18. भोपाल 2 2 2
19. बिलासपुर 1 1 1
20. कुर्ग 1 1
21. दिल्ली 3 2 1 4
22. हिमाचल प्रदेश 2 1 1 3
23. कच्छ 2 2 2
24. मणिपुर 2 2 2
25. त्रिपुरा 2 2 2
26. विंध्य प्रदेश 4 2 2 6
27. कुल 400 306 86 8 489

 

आज, भारतीय लोकतंत्र के इस महत्वपूर्ण कदम को याद करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल देश के लोकतंत्र के विकास का प्रतीक है, बल्कि समाज में समानता और न्याय को बढ़ावा देने का भी एक महत्वपूर्ण कदम था। इस नई प्रणाली के माध्यम से, लोकसभा में हर क्षेत्र से न्यायपूर्ण प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हुआ, जो देश की लोकतंत्र की मजबूती को और भी बढ़ावा दिया।

पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. लोकसभा में एक सीट से एक ही सांसद का चयन क्यों हुआ? इसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक न्याय और समानता को प्रोत्साहित करना था। पहले की अद्वितीय प्रणाली में दो-दो सांसदों का चयन होता था, जिससे विभिन्न समुदायों का प्रतिनिधित्व हो सकता था। लेकिन 1961 में इस प्रणाली को समाप्त किया गया और अब हर सीट पर केवल एक सांसद चुना जाता है, जो सामाजिक न्याय और निष्पक्षता को बढ़ावा देता है।
  2. क्या यह नई प्रणाली लोकतंत्र में कोई बदलाव लाएगी? हां, यह नई प्रणाली लोकतंत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी। अब हर क्षेत्र से केवल एक सांसद का चयन होगा, जिससे समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व होगा। इससे सामाजिक न्याय, समानता, और निष्पक्षता को मजबूती मिलेगी।
  3. क्या पहले की अद्वितीय प्रणाली का कोई महत्व था? हां, पहले की प्रणाली ने विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधित्व में मदद की थी, लेकिन यह सिस्टम भ्रष्टाचार और सामाजिक न्याय के मामले में चुनावी लाभ के लिए भ्रांतियों को बढ़ावा देता था।
  4. क्या यह प्रणाली निराधार नहीं है? नहीं, यह प्रणाली निराधार नहीं है। यह सिस्टम सामाजिक न्याय, समानता, और निष्पक्षता को प्रोत्साहित करता है, जो एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।

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